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१५ । स्मरण कला
.. था, भोजन करने के वाद आशीर्वाद देकर वे चले गये और गाँव से
थोडी दूर जाकर एक वृक्ष के नीचे आराम करने लगे, इधर उस भक्त ने जीमते समय उसी थाली से चीनी ली तो पता चला कि उसने महात्मा मस्तरामजी को भूल से नमक ही परोसा है । इसलिए वह खाना खाये बगैर ही एकदम उठा और मस्तराम जी कहाँ होने चाहिये यह अनुमान करके उनको खोजने के लिये निकल पडा । थोडी देर मे ही उसे पता चला कि वे एक वृक्ष के नीचे प्रसन्नचित्त बैठे हैं । वह भक्त पहुंचते ही उनके चरणों मे गिर पड़ा और कहने लगा, “महाराज | आज भारी अनर्थ हो गया है आप को जिमाते समय चीनी के बदले नमक भूल से चूरमे मे डाल दिया। उसका मुझे बहुत भारी अनुताप है। अव पता नही आपके शरीर को क्या होगा।" उक्त बात सुन कर मस्तराम जी बोले-"भक्त । हमने मिश्री खाई या नमक यह तो मालूम नही, परन्तु रसवती अच्छी वनी थी। इतना ख्याल आता है।" ऐसी बात एक दम किसके गले उतरे ? पर महात्मा मस्तराम के लिये यह बात एकदम सत्य थी। वे स्वाद के विषय मे विल्कुल उदासीन बन गये थे। इस कारण क्या वस्तु खाई, उसका ख्याल तक नही रखते थे। तात्पर्य है कि 'रस' परिवर्तन के कारण एक मनुष्य को एक बात बराबर याद रहती है और दूसरी बात बराबर याद नहीं रहती।
प्रश्न- अद्भुत स्मरण शक्ति किसे कहते है ? इसका कोई उदाहरण देगे?
उत्तर-कुछेक मनुष्यो की स्मृति इतनी अधिक तीव्र होती है कि वे एक बार पढ कर ही या एक बार सुन कर ही सैकडो क्या हजारो बातो को बराबर याद रख सकते हैं। उसे हम अद्भुत या असाधारण स्मरण शक्ति कह सकते है ।
महाभारत की रचना श्री वेद व्यास ने मौखिक रूप मे ही की थी। तपोवन मे महर्षि सैकडो शिष्यो को मौखिक ही अध्ययन कराते और कौन से शिष्य को कौन-सा पाठ दिया है, वह सब बराबर स्मृति मे रखते ।
विद्या के परम प्रमी ( शौकीन ) मालवपति महाराजा भोज के दरबार मे ऐसे भी कवि थे कि जो एक बार सुनकर ही जैसे तैसे