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१३६ स्मरण कला
६ १० अ क की संख्या में भी इसी तरह वर्गीकरण करते हुए १०
से १५ तक की संख्या मे ६, १६ से ३१ तक की सख्या मे ७, ३२ से ५८ तक की सख्या मे ८ और ५६ से ६६ तक की सख्या
मे ६ होते है। ७ ग्यारह अ क की सख्या मे केवल १०० की सख्या ही है ।
इस समस्त वर्गीकरण को निम्नोक्त पक्तियो के आधार पर याद रखा है
पच घात न पकडो पूछ, रिपु ने अागल एक मूछ; वारने अन्ते कोतुक थाय, एक महाद्वीप वे थई जाय । सिद्धि नानी राधा बे, बाकी नी तो त्रण श्रण छे, निधि ये चार पाँच ने ॐ राश थी वीमो बाध्यो जो, दिनपालो छ थी नव छ, नप्पु गीनी पाश थी ले। और इनका भो सार रूप एक ही दोहा है रिपु मूछ बार दीवो अने सिद्धि राधा एक । ___ बाँध्यो बीमो राश थी नप्पु जुगारी छेक ।
इसके सार का कल्पना चित्र मन मे इस प्रकार खीचना है । बीमा कम्पनी के रिपु और नप्यु नामक दो नौकर रविवार की रात्रि मे दीपक जलाकर आफिस मे जुआ खेल रहे हैं। यह दृश्य राधा नाम की नन्ही वालिका देख रही है। इतने मे पुलिस पाकर उन्हे पकड लेती हैं, और पचनामा के लिए वयान लेने लगती है।
___ इस चित्र मे पचनामा पचघात की याद दिलाता है । इसलिए कि इस चित्र का सम्बन्ध पचघात के साथ है उनमे रिपु, वार, द्वीप नन्हो गधा, बीमा की प्राफिस, वीमा और नप्पु जुवारी, ये मुख्य विषय है, जो अनुक्रम से ६, ७, ८, ६, और १० की सख्या का स्मरण करते है ये नाम याद आते ही 'पचघात की पकड़ो' में पक्तियाँ भी वरावर याद आती हैं।
इस साधन से १ से १०० तक की पचघात की संख्या का मूल ३० सैकिण्ड एक ? मिनट के अन्दर बताया जा सकता है जैसे कि
१६८०७ का पचघात मूल क्या है ? ७१ क्योकि सख्या पाँच अक की है और पांच अक वाली सख्या का अन्तिम अक ही ग्रहण करना है।