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________________ १३२ स्मरण कला ह-८ ह स-६ स हैं-२ ह स-४ स इसका अर्थ स-८ स ह -४ ह स-८ स ह-६ है अब वे ho h करता पूरण प्रीत इसीलिए hcho एक छोटा सा दोहा कितना भाव, कितनी समझ, याद रखने मे ५. सहायक है, वह इससे समझा जा सकता है। इसी रीति से अलग-अलग सौ संख्या का सार भी भाव-बन्धन से याद रखा जा सकता है । उसके लिए पच घात का मूल निकालने का दृष्टान्त समझने योग्य है। निम्नोक्त संख्या पचधात है १६१०५१ ४१७२३०१ ९०२२४१९९ ऊपर लिखित हरेक सख्या एक एक सख्या को ही पांच बार गुरगन करने पर निष्पन्न हुई है। क्या सख्या होनी चाहिए अर्थात् इसका मूल क्या है ? १६१०५१ का मूल ११ है, इसलिए कि वह ११४ ११४ ११४ ११४ ११ का परिणाम है। ४१७३०१ का मूल २१ है, इसलिए कि वह २१४२१४२१४ २१४ २१ का परिणाम है।
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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