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१३० । स्मरण कली
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तीसरे चौतीस के यत्र मे प्रथम खाने की अपेक्षा दूसरे खाने मे ७ की संख्या अधिक है और अड़तालीस के यत्र मे भी प्रथम खाने की अपेक्षा दूसरे खाने मे ७ की संख्या ज्यादा है। चौतीस के सातवें खाने की अपेक्षा पाठवे मे १ सख्या कम, नौवे की अपेक्षा दसवे मे पाँच कम और पन्द्रहवे की अपेक्षा सोलहवे खाने मे ३ अधिक है तो अडतालीस के यत्र मे भी वैसे ही वेसी-कम है अर्थात् उनमे एक परिपूर्ण नियम है यह निश्चित है। इस सख्या का सम्बन्ध विभक्त योगवाली संख्या के साथ है इसलिए उसे (आधा) ३ करके उसके साथ घटाएं जैसे कि ३४ आधा १७ और ४८ आधा २४ = 1 = अ तो अ-८ -प्र-१
अ-४ अ-५ अ-२ -अ-७
अ-६ अ-३ दोनो यत्रो मे यह समीकरण समान ही होने से यह उनका मूल है-यह निश्चित है । यह वर्गीकरण भी नव के सिद्धान्त पर योजित है । अ को के योग मे ९ हुए है और आधी दो सख्या से भी सख्या ९ हुई । इसलिए आधी संख्या बन सकी। अब १ से ६ तक की दो सख्या का योग ९ लाना हो तो वह चार प्रकार से ही प्रा सकती है-१+८, २+७, ३-+६, ४+५,= अथवा दूसरी प्रकार से करे तो ८+१, ७+२, ६+३, ५+४ ।।
अव यह समग्र समीकरण कैसे याद रहे यह देखना । पहले इस यत्र मे दो प्रकार की सख्या है एक तो मूल संख्या की आधी और दूसरे मे मात्र अक । इन्हे हम अनुक्रम से है और स की सज्ञा देते है। इसलिए इस यत्र मे ह और स निम्नोक्त प्रकार से सयोजित है
ho to not
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___hoother