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________________ साहित्य शिक्षण संचालक मुनि सुशील कुमार शास्त्री जी की ओर से दी गई श्रद्धाञ्जलि पंजाब के महानतम आचार्य देव श्री १००८ श्री सोहनलाल जी महाराज का संयम तथा श्रद्धापूत जीवन पाठकों की चेतना को अनन्त की ओर उत्प्रेरित करेगा तथा विषमता-और अर्थ भेद की चक्की मे विसता हुआ जन मानस मार्ग दर्शन पायेगा यही एक कामना है। आचार्य श्री का जीवन संसार की बलखाती हुई मोह भंगिमाओं और ऐषणिक सम्पदाओं से भरपूर होने । पर भी गीता के अनाशक्ति योग का, तथा पुष्कर पलाश वनिलेप की साधना का ज्वलन्त साकार देदीप्यमान चित्र है । . उनकी अमोघ साधना, तपः पूतसंयम तथा आर्हति रसासिक्त वाणी, भव्य विचारणा, अव्यर्थ सर्जन शक्ति और विलक्षण प्रतिभा, प्राक्कालीन संस्कारों की उज्जवल प्रादुभूत विरासत थी। वे जन मानस के सच्चे पारखी और विषम से विषम समस्याओं को सुलझा देने में सिद्ध थे। उनका समग्र जीवन लोक सेवा मे तथा आत्म साधना में प्रत्यर्पित हुआ। ऐसे मंगलमय युगीन महापुरुष का जीवन वर्तमान के लिये नहीं अपितु भविष्य के लिये ही अधिक होता है। विज्ञान तथा युद्धत्रस्त मानव और अन्धकाराच्छन्न युग को आचार्य देव का जीवन, जीवन की किरण बनकर युग के
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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