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________________ आपके उत्तराधिकारी ४०७ ___ इस पर ठाकुर दास यल करके गुलाम मुहम्मद के पिता को बुला कर युवाचार्य जी के पास लाया। युवाचार्य जी ने जब उस से वार्तालाप किया तो वह अपने पुत्र के विषय में स्मरण करके एक दम रो पड़ा। युवाचार्य जी ने उसको सांत्वना देकर यह विश्वास दिलाया कि उसका पुत्र शुद्ध होकर फिर भी विरादरी में मिल सकता है। इस पर गुलाम मुहम्मद को भी युवाचार्य महाराज के पास बुलाया गया । आपने उसको उपदेश देकर जैन धर्म में वापिस आने को राजी कर लिया। अब प्रश्न यह उपस्थित हुआ कि उसको किस प्रकार शुद्ध किया जावे । तव उसका पिता बोला पिता-इसे गंगा जी ले जा कर शुद्ध करा ले। युवाचार्य-क्या गंगाजी के जल में णमोकार मन्त्र से भी अधिक शक्ति है ? आप निश्चिन्त रहें। उसकी शुद्धि हम करेंगे और अभी करेंगे। - इसके पश्चात् आपने उस को णमोकार मन्त्र, आलोचना तथा प्रतिक्रमण से शुद्ध करके तथा सम्यक्त्व देकर उसको उसकी बिरादरी में समानता के आधार पर मिलवा दिया । जब युवाचार्य जी विहार करते हुए स्यालकोट आए तो वहां आपको एक ऐसे मुसलमान परिवार का समाचार मिला, जिस में कई भाई बहिन अपनी माता के साथ रहते थे। उनका पिता एक जैनी था और उसने उन सब को एक मुसलमान स्त्री में उत्पन्न किया था। इस समय उन का वह पिता मर चुका था। युवाचार्य जी ने मन मे विचार किया कि यदि इन सब को
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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