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________________ ३७६ प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी अधिक शक्तिशाली लोग चढ़ने वालों के ऊपर पैर रख कर बच भी निकले । किन्तु उनकी संख्या बहुत कम थी। तीनों जैन लड़कों में से बाबूराम जेनरल डायर की गोलियों से वहीं मारा गया । खजाची लाल किसी प्रकार दीवार पर चढ़ कर निकल तो आया, किन्तु घर श्राकर वह दहशत के मारे बीमार पड़ गया और कुछ ही मास की बीमारी के बाद मर गया । कुन्दन लाल ने जो वहां से भागने के लिये धक्कम धक्का की तो उसके सब कपड़े बिल्कुल फट गए। किन्तु उस समय कपड़ों पर ध्यान देने की अपेक्षा प्राण बचाना मुख्य कार्य था। अतएव वह बिल्कुल नंगा होकर अपने घर आया। जेनरल डायर ने जलियान वाला वाग के घायलों तथा मृतकों को रात भर वहां से नहीं हिलने दिया और न उनको जल तक ही मिलने दिया। जेनरल डायर ने अमृतसर में ऐसा आतंक जमाया कि पानी के नलों को बन्द कर नगर की विजली भी वन्द करवा दी। नागरिकों को सब के सामने आम तौर से वेत लगाए जाते थे। एक गली मे एक लेडी डाक्टर पर प्राकमण किया गया था। इस लिये उस गली मे निकलने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पेट के बल रेंग कर जाने दिया जाता था। इन बातों से नागरिकों में जलियान वाला बाग के गोली कांड से भी अधिक आतंक फैल गया और इसी कारण नवयुवक खजांची राम जलियान वाला बाग से बच कर भी बाद में उसकी दहशत से मर गए । पूज्य सोहन लाल जी महाराज को अपने ज्ञान वल से इन सव घट- नाओं का अभ्यास हो गया था। इसी से उन्होंने लोगों को वहां जाने से रोका था।
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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