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________________ आत्म शक्ति -थी। अतएव सैनिक अधिकारी प्रत्येक साधु को देखते ही उसे पकड़ कर अनेक प्रकार की यातनाएं देते थे। अनेकों को तो गोली भी मार दी जाती थी। इस समय तपस्वी मुनि श्री गैंडेराय जी महाराज बंगा जिला जालंधर में विहार कर रहे थे। उन्होंने यह समाचार सुनकर तुरन्त ही पूज्य महाराज की सेवा में जाने के लिये अमृतसर को विहार कर दिया। लोगों ने आप से बहुत कुछ मना किया, किन्तु आप न माने। जब आप विहार करते हुए अमृतसर के मार्ग मे जंडियाला गुरु आए तो वहां आपको पुलिस ने रोका । वास्तव मे यहां से अमृतसर तक पूरे मार्ग मे पुलिस का तथा खास अमृतसर में गोरी सेना तथा गुरखों का पहरा था। जंडियाला गुरु मे पुलिस ने आपको बहुत समझाया कि आप आगे न बढ़े। आप को साधुओं पर किये जाने वाले सेना के अत्याचारों का वर्णन भी सुनाया गया। किन्तु आपने एक ही बात कही .. ____ "मुझे मेरे गुरु के दर्शन करने से इस समय संसार की कोई शक्ति नहीं रोक सकती।" यह कह कर आप अमृतसर की ओर को बढ़ चले। जब आप अमृतसर के सामने आए तो आपने अपने संघ के साधुओं से कहा __"अब आप लघुशंका आदि से निवृत्त होकर थोड़ा ध्यान कर लो। तब सेना के क्षेत्र में प्रवेश करेंगे।" इस पर सब लोग लघुशंका आदि से निवृत्त होकर ध्यान करने लगे। आप लोग सड़क में खड़े २ ही लगभग पांच मिनट तक ध्यान करके आगे बढ़े तो उपाश्रय पहुंचने तक मार्ग में कोई भी आप से इस प्रकार नहीं बोला, जैसे आपको किसी ने भी न देखा हो। आपके साथ कुल चार या पांच साधु थे।
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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