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________________ ३५८ प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी पन्द्रह दिन के वादविवाद के पश्चात् चैत्र शुक्ल १० संवत् १६६० को सम्मेलन की पूर्णाहुति की गई। इस दिन अग्रेजी हिसाव से १९ अप्रैल १६३३ थी। पूज्य सोहनलाल जी महाराज के शासन में इस समय कुल ७३ मुनि तथा ६० आर्या जी मिला कर कुल १३३ त्यागीवर्ग था। इनमें से २५ मुनि पंजाब से ४८० मील पैदल चल कर सम्मेलन मे पधारे थे। इन २५ मुनियों मे निम्नलिखित पांच निर्वाचित प्रतिनिधि थे १ गणी उदयचन्द जी महाराज, २ उपाध्याय आत्माराम जी महाराज, ३ युवाचार्य श्री काशीराम जी महाराज, ४ मुनि श्री मदनलाल जी महाराज तथा ५ मुनि श्री रामजीलाल जी महाराज । उपरोक्त ७६ प्रतिनिधि समान आसनों पर गोलाकार मे बैठे। उनके बीच मे हिन्दी तथा गुजराती लिखने वाले मुनि बैठे थे। सम्मेलन मे छब्बीसों सम्प्रदायों के प्रतिनिधि जैन धर्म के गौरव का पुनरुद्धार करने के लिये एकत्रित हुए। ____ मंगलाचरण के पश्चात् गणी उदयचन्द जी महाराज को सर्वसम्मति से इस सम्मेलन का शान्तिरक्षक चुना गया । आपके अतिरिक्त शतावधानी मुनि रत्नचन्द जी महाराज को भी उनके साथ चुना गया। आपने इंकार किया और डट कर इंकार किया। परन्तु इच्छा न होते हुए भी आप लोगों को यह पद स्वीकार करना ही पड़ा। इस सभा की हिन्दी कार्यवाही को लिखने का कार्य उपाध्याय श्री आत्माराम जी महाराज तथा गुजराती कार्यवाही के लिखने
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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