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________________ दीनों का कष्ट निवारण करुणाकर से करुणा के लिये, करुणाक्रन्दन करके देखो। यदि तुम पर अत्यधिक श्रापत्ति श्रा गई है और उसके निवारण के लिये तुम को उस करुणामय की करुणा की वास्तव में आवश्यकता है तो एक बार वास्तव में करुणाक्रन्दन करके देखो । तुम्हारा कष्ट अवश्य दूर होगा। आज दिवाली का दिन है। सभी लोग अत्यन्त प्रसन्न हो कर अपने अपने घर के लिये बाजार से अनेक प्रकार की वस्तुएं ला रहे हैं। सोहनलाल जी भी पसरूर की अपनी दूकान • पर बैठे हुए अपने कार्य में व्यस्त हैं। आज उनकी दूकान पर ग्राहकों की अधिक भीड़ है। किन्तु वह सभी ग्राहकों को संतुष्ट करके उनके हाथ शांतिपूर्वक माल बेच रहे हैं। उसी समय एक द्वादशवर्षीया बालिका सुन्दर साड़ी पहिन कर एक थाल मे जलते हुए दीपकों को सजा कर अपनी माता की आज्ञा से उन दीपकों को देवमंदिर में रखने को ले जा रही है कि मार्ग मे उसने जलते हुए दीपकों की मंद हवा के झोंकों से रक्षा करने के लिये उनको अपनी साड़ी के पल्ले से ढक लिया। वह मंद मंद
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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