________________
१३७
गर्म विना टेक नही, घम विना नेक नही, धम विना ऐक्य नहो, धर्म घाम रामनु, धम विना ध्यान नही, घम विना मान नही, धर्म विना भान नही, जीव्यु कोना कामनु ? धर्म विना तान नही, धर्म विना सान नहीं, धर्म विना गान नहीं, वचन तमामनु धम विना धन धाम, घाय धूळधाणी धारो, घम विना धरणीमा, पिता घराय छ, धम विना घामतनी, धारणाओ घोखो धरे, धर्म विना घायु धर्य, धुन थे धमाय छ, धम विना घराघर, धुताशे, न धामधूमे, घम विना ध्यानी ध्यान, ढोग ढगे धाय छे, धारो धारा घवळ, सुधमनी धुरघरता, घया धय ! धामे धामे, घमथी धराय छे ६
(८) सवमाय धम
(चोपाई) धमतत्व जो पूछा मने, तो सभळावु स्नेहे तने,