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( पतिगाल) मंसारमा मन परे पपम मोह पामें ? चराम्याग र पदये गति एक नाम: मागा अहो गगी लो दिक भाप आपी, "भाकाग-पुष की वगमुता बघावी."
मुनिने प्रणाम
(मनहर छंद) शातिफे नागर भर, नीतिो नागर नेका, दयाके आगर ज्ञान, ध्यानके निधान हो; शुद्धबुद्धि ब्रह्मचारी, मुसबानी पूर्ण प्यारी, मवनके हितकारी, धर्मके उद्यान हो, रागद्वेषगे रहित, परम पुनित नित्य, गुनसे खचित नित्त, सज्जन समान हो, रायचद धैर्यपाल, धर्मढाल क्रोधकाल, मुनि तुम आगे मेरे, प्रनाम अमान हो.