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________________ १३१ सपट गोप सकळ हरण, नौतम मान निटान, इच्छा विपन अचळ करा, भयभजन भगवान ९ वाघि व्याधि उपाधिने हरो तत सोफान, करुगानु परणा परो, भयभजन भगवाा १० सिरनी धयर मनि, भूर भयकर मान, कर हे स्नेहे हरो, भयभजन भगवान ११ शनि शिगुने आप, भक्ति मुनिनु दान, मुज मुनि जाहर छ, भयभजन भगवान १२ नीति प्रीति नम्रता, भरी भक्तिनु भान, माय प्रजाने मापगो, भयभजन भगवान १३ प्या पाति औलापता, धर्म मम मनध्यान, सप जप माप द, मयमजन भगवान १४ हर साउग एपपु, हर अप ने अमान, हर अमगा भारत ती, भयमजा भगवान १५ हन मन धन न घमन, दे मुप सुधा रामा, मा बमीन पर भा, भयभजन गयान १६ विाय पिनति रापना, परो भूपापो ध्यान, मान्य करो महाराज से, ममममा भगवान १७
SR No.010737
Book TitleTattvagyan Mathi
Original Sutra AuthorShrimad Rajchandra
Author
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year1986
Total Pages253
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Rajchandra
File Size3 MB
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