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(७७) व कमेद्रिये मिलजायगी और उनकी मजकुरा खामीये पूरी हो जायगी। देखिये, यह एक आश्चर्यकारी औषध मिलाहै न किसी डापटरके पास जाना पडेगा और न किसी हकीमके पास। ____ सारय-यह आप क्या कहरहे है ? ऐसा कभी नहीं होसक्ता । क्या यह फिलॉसफी आपने अपने घरसे तो नहीं निकाली है ?
जैन-नहींनी ! नहीं ! ! हमने अपने घरसे नहीं निकाली है किन्तु इस नराली दवाको आपके घरमें निगाह फरनेपरहि निहाली (देखी) है।
भाइसाय ! !! जरा गुस्सा नहीं करना । आप वढे पक्षपातम पडेहो वरना 'ऐसा कभी नहीं हो सकता' ऐसा कभी न कहते । क्योंकि जा आप मान चुकेहो कि अ. भिमानसे सोलह चीजे पैदा होती हैं तो फिर अभिमान करनेसे मजकुरा चीजें क्यो न मिलेगी? क्योंकि मचकुरा चीजोंका सोलह चीजों में नाम है । अत' आपके मानने मुताविक तो घराघर मिलनी चाहिये । देखिये, घटकी पैदायश मिट्टीसे है तो एक घटके फूट जानेपर दूसरा घट पैदा करना होतो मृत्तिका द्वारा हो सकता है। वस, इसी तरह जब अहकारसे इद्रिय आदिफी पैदायश मानते हो तो निसवक्त जिस किसी इद्रियकी न्यूनता को हम देखेंगे अभिमान द्वारा फौरन बनायलेंगे । बनावेंगे क्या