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( ३१३ ) व्यवहारनया-यह नय बहुत ही बाहय वस्तुओंपर बहुत ही सुक्ष्म दृष्टी डारता है इसके दो भेद है १ सामान्य सग्रह भेदक व्यवहार २ विशेष सग्रह भेदक व्यवहार
१ सामान्य सग्रह भेदक व्यवहार जैसे जीवादि द्रव्य है
२ विशेष सग्रह भेदक व्यवहार जीव दो प्रकारके होते है ससारी और मोक्षके ससारीके दो भेद-सजोगी और अजोगो-अजोगी १८ चे गुणस्थान वाले वाकी सर्व सजोगी सजोगीके दो भेद-केवली और छदमम्त-केवलीतो १३ वे गुण स्थान वाले वाकी सर उदमस्त उदमस्त के दो भेद-- उपशन्ति मोह-क्षीणमोह-क्षीण मोहतो चार गुणस्थान वाले वाकी सर उपशान्तमोह उपगात मोहके दो भेद सफाई सफाईके दो भेद-सूक्ष्मकवाई वादरम्वाई के दो भेद-श्रेणी प्रतिपन्न और श्रेणी रहित-श्रेणीपतिपन्न आट वे गुणस्थान वाले वाकी सर श्रेणी रहित-श्रेणी रहीतके दो भेद प्रमादी और अप्रमादी-अप्रमादी छ वे गुणस्थान वाले बाकी सब सप्रमाी -सममादीके २ भेद साधु और श्रावक-साधु छठे गुणम्यान वाले बाकी सब भारफके दो भेद वृत्ति और अत्ति वृत्ति तो पाच वे गुणस्थान वाले बासी सर अत्ति अत्तिके दो भेद-सम्यक्त्वी और मिथ्यात्वीके तीन भेद ? भव्य • अभव्य ३ और जातिभव्या भव्य उसे कहेते हैं जो जो भाषिकाल्मे सिद्ध होनेवाली है, अभव्य उसे कहते हैं