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(१५) चातको कमजोर रखकर मौका देता रहा इसी तरहसे आपभी प्रसगोपात खडे हो जाया करिये और मुझे मौका दीजिये। मगर आप अपने पक्षको कमजोर न रखें जितना जोर लगाना हो उतना वेशक लगा दीजिये । कमजोरी नहीं दिखलानी ।
नास्तिक-प्रिय मित्र । आप पेशक जोर लगावें हमने तो अच्छी तरहमे आपका मतव्य खडित कर दियाहै । अब आप अपने मतव्यका मडन कर मसग पारर मैं वीचमें सवालो जगात्र करनेको हरदम तयारहू । ___ आम्तिम्-प्रत्यक्ष प्रमाणसेही आत्मामी सिद्धि हो सक्तीहै इस लिये मम यहाथा कि पचभूतोंके सिवाय आत्म नामका पदार्थ नही, जापका यह स्थन सर्वथा असत्य है । देखिये ! "मुसमहमनुभवामि" इसका मतलब यह है, मैं मुखका अनु. भर कर रहाह। यहापर हरएक समज सक्ताहै कि मुख ज्ञेयहै और में ज्ञाता ह यानि मुग्व जाणने गयफ है और मैं जाननेवालाह। मुख अलाहिदा पदार्थ है और जाणनेवाला अलाहिदा पदार्थ है। पत• मुराको जानना चैतन्य गुण विशिष्ट आत्माकाही कामहै। यह प्रत्यय (विश्वास ) मिथ्याहै ऐसा न समझें । यत इस्का कोइ बाधा नहीं है । जो स पातको मुखालफ बनकर न झूठी सिद्ध पर सफे, और न इस्में किसी तरहका सदेहहै । क्योंकि सशय दोकोटीके मिलनेसे बनताहै। इसी तरहका लक्षण वादि