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अतः इस सम्बन्धम में कुछ वार्तालाप नीचे लिखता है। __ सर्व सज्जन भ्यान देकर पढे और लाभ उठावें ।
नास्तिक-"शरीराफार परिणत भूतोकोही आत्माका उत्पादक कारण मानना मुनासिब है. पाणीमें जैसे वाले उठतेहै और उसमें ही फिर लय हो जाते हैं इसी तरहसे भूतोंमें ही आत्मसत्ता पैदा होती है और भूनों के अभावमें उसका अभार होता है । परलोकमें जानेवाला आत्मा नामका कोई पदार्थ नहीं है, अगर आप भूतोंसे अलाहिदा परलोक गत आत्म नामके पदार्थको मानते हे तो बतलाइए? आप प्रत्यक्ष प्रमाणसे मानते हे चा अनुमान प्रमाणसे ? प्रथम यात यह है कि प्रत्यक्ष प्रमाणसे सावित होही नहीं सक्ता है, क्योंकि नेनादिक इद्रियोंसे पार्थका साक्षात्कार होनेका नाम प्रत्यक्ष प्रमाण है, सो किसीने भी नेनद्वारा आजतक आत्माको नहीं देखा । इसलिये प्रत्यक्ष प्रमाणसे सिद्ध नहा हो सक्ता । अगर प्रत्यक्ष प्रमाणसे देगा जाता तो घट पट मठ वगेरेको तरह आत्मा भी नेनके समीप आकर मालूम होता।
जाम्तिक-"स्ऽलोह" "कशोह " अर्थात् में स्थूला, __ में जगह इस भावनासे आत्मा प्रत्यक्ष है । वरना ऐसा __कैसे मतीत होता कि म मोटा १ मे पतला हु ? इत्यादि