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________________ ७२ | मुनिश्री प्रताप अभिनन्दन ग्रन्थ १०-श्री प्रकाश मुनिजी म० साहित्यरत्न - वि० स० २००६ माघशुक्ला ११ रविवार के दिन श्रीमान् नाथूलालजी धर्म की पत्नी श्रीमती सोहन वाई गाग की कुक्षि से जन्म हुआ। शंशव काल सुख शान्ति के क्षणो मे बीता । येन-केन-प्रकारेण मुनि-महासती वर्ग का सम्पर्क मिलता रहा। जीवन मे सुप्त सस्कार फूलझडी को तरह विकसित होते रहे। फलस्वरूप प्रभुलाल की अन्तगत्मा धर्म-रग से ओत-प्रोत हो उठी। पारिवारिक विघ्न घटा से उत्तीर्ण होने के पश्चात् स. २०२५ माघ शुक्ल १५ की मगल प्रभात मे भीम नगर के सघ द्वारा विशाल पैमाने पर दीक्षोत्सव सम्पन्न किया गया । इस धार्मिक महोत्सव मे स्थानीय एव वाहर के हजारो मुमुक्षुओ ने लाभ प्राप्त किया। ___ माधना मार्ग पर आरूढ होने के पश्चात् गुरुदेव का साहचर्य पाकर श्री प्रकाश मुनि जी अध्ययन रत हैं । विनय-विवेक विद्याध्ययन एव सेवा गुण को दिन प्रतिदिन विकसित कर रहे हैं । समाज को ऐसे नवयुवक मन्त से काफी आशा है । आपने गुरु प्रवर का शिष्यत्व स्वीकार किया। ११-१२ - श्री सुदर्शन मुनि जी म० एव श्री महेन्द्र मुनि जी म० सा० - अमत शहर के गढका ग्राम के आप निवासी है। अग्रवाल जाति म जन्म लेकर राजवैद्य नाम को खव ही चमकाया है । वैद्य-कला मे आप (श्री सुदर्शन मुनि जी) अतीव निपुण एव अनुभवशील हो । ससारी पक्ष की दृष्टि से आप दोनो पिता-पुत्र हैं । गुरु प्रवर एव मुनिमण्डल का माधुर्य भरा गावदार एव प्रशस्त आचार सहिता को देखकर दोनो अत्यधिक प्रभावित हुए । इन्दौर एवं उज्जैन मे उपस्थित होकर अनुरोध किया कि-आप हमे अपने चरण कमलो मे स्थान दें। ताकि हमे स्व-पर के कल्याण का सुनहरा अवसर मिल सके । आपके अत्याग्रह पर परोपकारी गुरुदेव ने वि० स० २०२६ जेठ वदी ११ को हसन पालिया से निराडम्बर तरीके से दीक्षा व्रत प्रदान किया। साधना मय जीवन का परिपालन करते हुए जिनशासत प्रभावना की अभिवृद्धि मे सलग्न हैं । १३-श्री कांति मुनि जी म० सा० - उज्जैन निवासी श्रीमान् अनोखीलालजी, श्रीमती सोहनवाई पितलिया की कुक्षि से वि० स० २० ७ वैशाख सुदी ४ (चौथ) के दिन जन्म हुआ। शैशवकाल अध्ययन एव मुनियो की सेवा में व्यतीत हआ। 'जैसा सग वैसा रग' तदनुसार गुरुप्रवर श्री कस्तूर चन्दजी म० सा० की सेवा मे काफी वर्षों तक रहे । धार्मिक सस्कार, अध्ययन एव आवश्यक अनुभव सीखते रहे। तत्पश्चात् वैराग्य भाव परिपुष्ट होने के वाद मात-पिता की अनुमति प्राप्त कर स० २०२७ माघ शुक्ला ५ रविवार की मगल प्रभात मे छायन ग्राम के सघ द्वारा भागवती दीक्षोत्सव सम्पन्न किया गया। गुरुदेव का शिष्यत्व स्वीकार किया। अव रत्नत्रय की अभिवृद्धि एव साधना मे दत्तचित्त है । उपसंहार : "To love one that is great is almost to be great oneself” atafa HEFT BUTCHT के प्रति अनुराग करना स्वय को महान् बनाना है। यद्यपि पवित्र पुरुपो का सारा जीवन ही गुण सुमनो से ग्रन्थित, गभित, गुम्फित एव सुप्रेरणा
SR No.010734
Book TitlePratapmuni Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRameshmuni
PublisherKesar Kastur Swadhyaya Samiti
Publication Year1973
Total Pages284
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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