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प्रकाशकीय
जैन-धर्म-दिवाकर जैनागम-रत्नाकर श्रद्धेय प्राचार्य श्री प्रात्माराम जी महाराज की पावन तपस्थली लुधियाना के उपाश्रय का यह सौभाग्य है कि इसे शास्त्र-विशाद पण्डित-रत्न श्री हेमचन्द्र जी महाराज एव जैन-धर्म-दिवाकर पजाब-प्रवर्तक श्री फूलचन्द्र 'श्रमण' जी महाराज एवं विद्वद्रत्न श्री रतनमुनि जी महाराज के निवास का मौभाग्य प्राप्त हो रहा है।
श्री श्रमण जी महाराज की स्वाध्यायशीलता, प्रागम प्रकाशन की लगन एव प्रागम-सम्मत लोकोपकारक शासनप्रभावक ग्रन्थो को प्रकाशित करते रहने की भावना को करणामूनि श्री रतनमुनि जी महाराज सर्वदा पूर्ण करते रहने का प्रयास करते ही रहते है । ऐसे ही महाप्रयास के फल के रूप में प्रकाशित हुई है यह 'नमस्कार मन्त्र' नामकी महत्वपूर्ण कृति ।
__ इसके प्रकाशन का श्रेय श्री स्वर्ण कुमार जैन, सुपुत्र श्री माणक चन्दजी जैन (स्वर्ण-ट्रोडिग, लुधियाना) को है जिनके द्वारा दिए गए अथ-सहयोग से प्रस्तुत रचना प्रकाशित हो सकी है, प्रत. हम स्वर्णजीत जैन एव उनके समस्त परिवार के लिए अपनी मङ्गल-कामनाए समर्पित करते है।
प्रस्तुत कृति के प्रारम्भ मे श्री तिलकधर शास्त्री ने नमस्कार मन्त्र विषयक जो विद्वत्तापूर्ण भूमिका प्रस्तुत की है हम इसके लिए उनके अत्यन्त आभारी है।
जसवन्तराय जैन, (प्रधान)
मूलराज जैन (मन्त्री) प्राचार्य श्री प्रात्माराम जैन प्रकाशन समिति, लुधियाना