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४. जैसे कमल सूर्य के उदय होने पर खिल उठता है वैसे ही साधु का हृदय-कमल भी गुणी जनों को देखकर खिल उठता है।
५. जैसे कमल सदा प्रफुल्ल रहता है, वैसे ही साधु भी सदैव प्रसन्नमुद्रा में रहता है।
६. जैसे सूर्य मुखी कमल सदैव सूर्य के अभिमुख रहता है, वैसे ही सावु भी सदा तीर्थङ्करों की माज्ञानुसार ही व्यवहार करता है।
७. पुण्डरीक कमल सदैव उज्ज्वल होता है, वैसे ही साधु का हृदय भी धर्मध्यान और शुक्लध्यान से सदा उज्ज्वल रहता है। ११. रवि
___साधु सूर्य के समान होता है। सूर्य में तेजस्विता आदि अनेक विशेषताएं होती हैं, उन्हीं से मिलती-जुलती विशेषताएं साधु में भी पाई जाती हैं। इसी कारण उसे रवि की उपमा से उपमित किया गया है।
१. सूर्य अपने तेज से अंधकार का नाश करता है, वैसे ही साधु भी वाणी द्वारा भव्य जीवों के समक्ष नव तत्त्वों का वास्तविक स्वरूप प्रकाशित करके उनके अज्ञानान्धकार को दूर करता है।
२. जैसे सूर्य के उदय होने पर कमल-वन प्रफुल्लित हो नमस्कार मन्त्र]
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