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वसुनन्दि-श्रावकाचार
२०८ [मुत्ता, मोत्तु
मुक्त्वा
छोडकर
मोत्तूण
मोय
मोरवंध
मोस
मोच मयूरबन्ध मृपा मोहित मडप माण्डलिक मंडलीक मंत्र मन्दार माम
मोहिय मंडअ मंडलिय मंडलीय मंतर मंदार मंस
मोचा, केला एक प्रकारका बन्धन मोष, वोरी, असत्य भाषण मुग्ध हुआ सभारथान राजा मडलका स्वामी, राजेन्द्र गुप्त सलाह, कार्य साधक बीजाक्षर कल्पवृक्ष विशेष गोश्त
३१६ ३६३ २६६
४१६
रति *रइऊण रइय रक्ख *रक्खि
रति रचयित्वा रचित • रक्ष, राक्षस रक्षितु राज्य स्टन्त
३९७
५४ १२७
०
०
+रडत
रात्रि
रत्ति रथ्था रद
प्रीति, प्रेम रचकर निर्मित निशाचर, क्रव्याद रक्षा करनेके लिए राजाका अधिकृत प्रदेश शब्द करता हुआ लाल वर्ण, अनुराग युक्त रात कुल्या, गली दात रम्य, रमणीय क्रीडा करते हुए सृष्टि जवाहरात सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चरित्र नरक पृथिवी रात्रि
रथ्या
रम्य
४१३
+रमंत
रम्य रमन्त रचना
४३७
रयण
१२६
.७.01 60000 MG
२८६
चादी
रयणत्तय रयणप्पह रयणि रजय रहस्स रहिय বম্ব राइभत्त राइभुत्ति राय
राय • रायगिह
राया
रत्नत्रय रत्नप्रभा रजनि रजत रहस्य रहित राग रात्रिभक्त रात्रिमुक्ति राग राज्य राजगृह राजा
प्रायश्चित्त विवर्जित प्रेम, प्रीति
३१८
रात्रि-भोजन प्रेम राजाका अधिकृत प्रदेश मगध देशकी राजधानी भूपति
५१. ५२
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