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प्राकृत-शब्द-संग्रह
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५१३
४८४
पर्यङ्क प्रवचन प्रवर प्रवचन पवनमार्गस्थ, गगनस्थ प्रवाल पवित्र
पलियंक पवयण पवर पवयणराणू पवणमग्गट्ठ पवाल पवित्त पन्त्र पब्वय पसरण पसारण पसाय पसूण पस्सवण पस्सिय पहाय पहाय पहावा
पद्मासन, पलग उत्तम वचन, जिन-प्रणीत शास्त्र श्रेष्ठ, उत्तम - शास्त्रज्ञ अधर-स्थित, अन्तरीक्ष नव-अकुर, मूंगा निर्दोष व्रतका दिन, उत्सव, त्योहार, ग्रन्थि, गाँठ पहाड़ विस्तार फैलाना कृपा, प्रसन्नता
५४५ ४७३ ४२५ २२८ २१२
'३ ५३२
पर्व
३३८
५४५
पुष्प
पर्वत प्रसरण प्रसारण प्रसाद प्रसून प्रस्रवण दृष्ट्वा प्रभात प्रभाव प्रभावना प्रभृति
५१० ४२२ ५०५ ४८
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प्रभौघ
४३६
५१७
पहीह पाउग्ग
पाएण पात्रोदय पाग पाठय *पाडिऊण पाडिहेर
मूत्र, पेशाब देखकर प्रात.काल शक्ति-सामर्थ्य गौरव या प्रभाव बढ़ाना इत्यादि प्रभा-पुंज अतियोग्य प्रायः करके चरण-जल विपाक, उदय अध्यापक, उपाध्याय गिराकर देवकृत पूजा-विशेष जीवनका आधार पीनेकी वस्तु पेय द्रव्य अहिसाणुव्रत जीव
प्रायोग्य प्रायेण पादोदक पाक पाठक पातयित्वा प्रातिहार्य प्राण पान पानक प्राणातिपातविरति प्राणी
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३८०
२३४
पाण
१८०
२५२
पाणय पाणाइवायविरह
२०८
पाणि
पाणि
हाथ
१०६
४४
जल हाथ ही जिनका पात्र हो जीव-घात चरण-जल
पाणिय पाणिपत्त पाणिबह पादोदय पाय पायर पायव पारण, पारणा पारंग
पानीय, पेय पाणिपात्र प्राणि-वध पादोदक पाद पाकर पादप पारणा पारंगत
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एक क्षीरी वृक्ष वृक्ष उपवासके दूसरे दिनका भोजन पारको प्राप्त
२५३ २८८ ५४३