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प्राकृत-शब्द-संग्रह
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दुवार दुविह दुवियप्प दुहावह देउलय (देवत्त । देवत्तण देविंद
द्वार, द्विवार द्विविध द्विविकल्प दुखावह देवालय
दरवाजा, दो बार दो प्रकार दो विकल्प दुःखपूर्ण देव-मन्दिर
३१३ २४२ १२०
देवत्व
२६४
देवेन्द्र
१६१ ३३४
प्रान्त
देसविरद देसविरथ देसि
देशविरत
देशित
देवपना सुरेन्द्र अश प्रान्त, भाग पाचवां गुणस्थान देश सयम उपदिष्ट दूषण, द्वेष, ईर्ष्या द्रोह, दोष (दे०) हाथ, बाहु, सजा, निग्रह, कुकृत्य दात देखना, उपयोग-विशेष प्रथम प्रतिमाधारी
०००
दोस
द्वेष । दोष, दोषा दण्ड, पाप दन्त
दंत
दंसण दसण-सावय
दर्शन
५३१
१६८ २२१, २७
२०६
दार्शनिक श्रावक
१०३
धक-धक् आवाज करता हुआ विभव भाग्यशाली, अन्न विशेष
धण्ण
चाप
२१२ २१३ २५८ ३१,२
द्रव्यविशेष, पुण्य, कर्तव्य शुभध्यान आशीर्वचन केश, वृक्ष विशेष पताका पृथ्वी आदि
३०४ ३०२ ३६६
+धग धगंत धण
धन
धन्य, धान्य धणु
धनुष
धर्म धम्मज्माण
धर्मध्यान धम्म-लाह
धर्मलाभ धम्मिल्ल
धम्मिल्ल घय
ध्वज धराइय
धरादिक (*धरिऊण, धरऊण धरऊणं
धृत्वा धरिय
धरित,धृत, धृत्वा धवल - धवलिय
धवलित धिग धुव्वंत
धूयमान धूयमाण
धूयमान धूलीकलसहिसेय धूलीकलशाभिषेक
धूप घूवदहण
धूपदहन
धवल
४२५
धिक
धारण कर धारण किया हुआ, घर करके उज्ज्वल श्वेत श्वेत किया हुआ धिक्कार फहराती हुई कॅपते हुए मृत्तिका-स्नान हवनयोग्य सुगधित द्रव्य धप जलानेका पात्र
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