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________________ प्राकृत-शब्द-संग्रह णेत्तम्मीलणपुज्ज रणेत्तण नेत्रोन्मीलन पूजा नीत्वा २ ोय ज्ञेय ५४६ णेमिचंद ऐवज्ज गोपागम णोकसाय णंदावत्त णंदीसर नेमिचन्द्र नैवेद्य नोबागम नोकषाय नन्द्यावर्त नन्दीश्वर प्रतिष्ठा-गत संस्कार-विशेष लेजाकर जानने योग्य एक आचार्यका नाम नेवज, देवतार्थ संकल्पित पक्वान द्रव्य निक्षेपका एक भेद छोटी कषाय एक प्रकारका स्वस्तिक आठवॉ द्वीप ४५.४ ५२१ तइज्ज तृतीय तीसरा ततः तत्त्व तत्त्वार्थ *तो तच्च तच्चत्थ तक्खण तणु तणुकिलेस तणुताव तराहा तण्हाउर तत्क्षण तनु तनुक्लेश तनुताप तृषा, तृष्णा तृष्णातुर इसके अनन्तर पदार्थ सत्यार्थ, तत्त्वरूप पदार्थ तत्काल शरीर, कृश कायक्लेश शारीरिक-सताप प्यास, मूर्छा तृष्णासे पीडित सतप्त इसलिए वहाँ, कहाँपर तीसरा सप्तम नरक पृथ्वी षष्ठ नरक पृथ्वी १८४ तप्त w तस्मात् is MY २११ १७२ तृतीय तमस्तमप्रमा तमोभासा (तमःप्रभा) तस्मात् तत तरणी १७२ तत्तो तत्थ तदिय तमतमपहा तमभासा *तम्हा तय तरणि तरु तरुणी तव तवस्ती तविल तल तह इससे वाद्य बिशेषका शब्द नौका २५३ ५४४ तरु तरुणी युवती तप ३४८ ४४ तपस्वी तपस्या तपशील तबला, वाद्य विशेष दो-इन्द्रियादि जीव ४ त्रस तथा - उस प्रकार १०, १८० ताडन तामलित्त पत्यरं तारिस ताडन ताम्रलिप्त तादृश मारना एक प्राचीन नगरी वैसा ५५ १४०
SR No.010731
Book TitleVasunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1952
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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