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२६६ प्राकृत साहित्य का इतिहास बिना मैं कैसे जा सकती हूँ।” धूर्त ने कहा-"तो उसे भी बुला लो। जुलाहे की लड़की ने अपनी सखी के पास खबर भिजवाई। वह भी आ गई। तीनों बहुत सबेरे उठकर भाग गये। इतने में किसी ने निम्न गाथा पढ़ी
जइ फुल्ला कणियारया चूयय ! अहिमासयंमि पुठ्ठमि | तुह न खमं फुल्लेउं जइ पच्चंता करिति डमराई॥
-हे आम्र! यदि कणेर के वृक्ष फूल गये हैं तो वसंत के आगमन होने पर तू फूलने के योग्य नहीं है। यदि नीच लोग कोई अशोभन कार्य करें तो क्या तू भी वही करेगा ? ___ यह सुनकर राजकुमारी अपने मन में सोचने लगी"आम के वृक्ष को वसंत उलाहना दे रही है कि सब वृक्षों में कुत्सित समझा जानेवाला कणेर भी यदि फूलता है, तो फिर तुम्हारे जैसे उत्तम वृक्ष के फूलने से क्या लाभ ? क्या वसंत की यह घोषणा मैंने नहीं सुनी? अरे ठीक तो है, यदि यह जुलाहे की लड़की ऐसा काम करती है तो क्या मुझे भी उसका अनुकरण करना चाहिए ?" यह सोचकर वह अपनी रनों की पिटारी लेने के बहाने राजमहल में लौट गई। उसके बाद किसी राजकुमार के साथ उसका विवाह हो गया और वह महारानी बन गई।
(६) किसी कन्या की एक साथ तीन स्थानों से मंगनी आ गई। किसी को भी मना नहीं किया जा सकता था, इसलिये माता-पिता ने तीनों की मंगनी स्वीकार कर ली। तीनों वर बारात लेकर चढ़ आये | संयोग से उस रात को साँप के काटने से कन्या मर गई । उसका एक वर उसके साथ चिता में जल गया। दूसरे ने अनशन करना आरंभ कर दिया। तीसरे ने किसी देव की आराधना कर संजीवन मन्त्र प्राप्त किया और कन्या को जीवित कर दिया । कन्या के जीवित हो जाने पर तीनों वर उपस्थित होकर कन्या को माँगने लगे। बताइये कन्या किसे दी जाये ? एक को, दो को अथवा तीनों को ?