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२६० प्राकृत साहित्य का इतिहास कि दुर्भिक्ष के समय श्रुत नष्ट नहीं हुआ था, मुख्य-मुख्य अनुयोगधारी आचार्य मृत्यु को प्राप्त हो गए थे, अतएव स्कंदिल आचार्य ने मथुरा में आकर साधुओं को अनुयोग की शिक्षा दी ।
___ अनुयोगद्वारचूर्णी यहाँ तलवर, कौटुंबिक, इभ्य, श्रेष्ठी, सेनापति, सार्थवाह, वापी, पुष्करिणी, सारणी, गुंजालिया, आराम, उद्यान, कानन, वन, गोपुर, सभा, प्रपा, रथ, यान, शिबिका आदि के अर्थ समझाये हैं। यहाँ संगीत संबंधी तीन पद्य प्राकृत में उद्धृत हैं जिससे पता लगता है कि संगीतशास्त्र पर भी कोई ग्रंथ प्राकृत में रहा होगा।
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