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१९२ प्राकृत साहित्य का इतिहास तृणं, काष्ठ और पत्र ढोनेवाले, कपड़ा बेचनेवाले (दोसिय), सूत बेचनेवाले (सोत्तिय ), बर्तन बेचनेवाले (भंडवेआलिअ ) और कुम्हार (कोलालिअ ), तथा शिल्पजीवियों में कपड़ा बुननेवाले (तंतुवाय), पट्टकार, काष्ठकार, छत्रकार, चित्रकार, दंतकार, कोट्टिमकार आदि का उल्लेख है। गणों में मल्लों का नाम गिनाया है। प्रमाण के चार भेद हैं-प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान और आगम | अनुमान तीन प्रकार का है-पूर्ववत् , शेषवत् और दृष्टसाधर्म्य ।