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- संस्कृत विद्या के केन्द्र वाराणसी में पुस्तक छपने और उसके प्रूफ देखे जाने के कारण कितने ही स्थानों पर प्राकृत के शब्दों में अनुस्वार के स्थान पर वर्ग का संयुक्त पंचमाक्षर छप गया है, इसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।
प्राकृत विद्यापीठ के मेरे पी-एच० डी० के छात्र योगेन्द्रनारायण शर्मा, और एम० ए० के छात्र राजनारायण राय ने अलंकार-ग्रन्थों में प्राकृत पद्यों की सूची बनाने में सहायता की। चन्द्रशेखर सिंह ने बड़ी तत्परता के साथ इस पुस्तक की पांडुलिपि को टंकित किया । प्रोफेसर आद्याप्रसाद सिंह और डॉक्टर देवेश ठाकुर ने अनुक्रमणिका तैयार करने में सहायता की। चौखम्बा संस्थान के व्यवस्थापक बन्धुद्वय-मोहनदास एवं विट्ठलदास गुप्त-ने बड़े उत्साहपूर्वक इस पुस्तक का प्रकाशन किया। इन सब हितैषी मित्रों को किन शब्दों में धन्यवाद दूँ ?
प्राकृत जैन विद्यापीठ
मुजफ्फरपुर गांधी जयन्ती १९५६
जगदीशचन्द्र जैन