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सूत्रकृतांग सूत्र
सब कुछ अदय है या दुःख रूप है, जीवहिंसा करना चाहिये या न करना चाहिये ऐसी मिश्रित वाणी न कहे; अमुक भिक्षु सदाचारी है और अमुक दुराचारी है, ऐसा अभिप्राय न रखे; दान, दक्षिणा मिलती है अथवा नहीं मिलती ऐसा न बोलता रहे । परन्तु बुद्धिमान् मनुष्य अपनी शांति का मार्ग बढ़ता जावे, ऐसी सावधानी रखे। [३०-३२]
जिन भगवान् द्वारा उपदेशित इन मान्यताओं के अनुसार आचरण करता हुया संयमी पुरुष मोक्ष प्राप्त होने तक विचरता रहे । [३३]
- ऐसा श्री सुधमास्वामी ने कहा ।
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