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________________ AMER min व्याख्यान-पच्चीसवाँ अनंत उपकारी शास्त्रकार परमापी फरमाते हैं कि अपना समलित निर्मल करने के लिये जीवन उरवल बनाना चाहिये। . जीवन में उज्वलता आये दिला समक्ति नहीं आ सकता है। और आ भी जाय तो टिक नहीं सकता है। लोक जीवन सुखी बनाने के लिये आज कितनी ही. जगहों में फंडफाला (टीप, बन्दा) होता है। लेकिन तुम्हें खबर है कि ये फंडफाला की कितनी ही रकम तो. वीचमें ही उडा दी जाती है। अपने परिवार के मनुप्य सुखी हैं कि दुःखी? यह जानने की भी जिनको फुरलद नहीं है पसे लोग जगतको स्था सुखी बना सकते हैं जीवनकी सुसाधना में श्रद्धा न हो तो जीवन बिगड जाता है। घासकी गंजीमें अग्निकी छोटी भी चिनगारी गंजीको जला देती है। उसी प्रकार श्रद्धाविना का जीवन जोखम में पड़ता है। श्रद्धाकी ज्योतको जलती रखनेके. लिये प्रयत्नशील बनो तो कार्य सिद्ध अवश्य ही होगा। जैनशासन को प्राप्त हुये जैन जगतके आधार स्थल समान एक आचार्य महाराज के जीवन में सब कुछ था.
SR No.010727
Book TitlePravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhuvansuri
PublisherVijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages499
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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