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... व्याख्यान-बाईसवाँ
२६५ ... के लिये दवाईयां देगे । इस समय तू दवायें तो लेना
लेकिन मेरे पेट में भारी वेदना हो रही है एसा चिल्लाना .. तो चालू ही रखना। ... . .. फिर मैं तेरे घर आऊंगा। फिर वाकी का सव में सम्हाल लूंगा। फिर ये लड़का घर गया। और धर
जाके महात्मा की सूचनानुसार ये सव नाटक किया । .... पूरे घर में हाहाकार मच गया । इसके मां बाप
स्त्री पड़ौली और सगे स्नेही सब इकठे हो गये । ::. उपरा ऊपरी (तरके ऊपर) वैद्यों को बुलाया । और दवाइयों के ऊपर दवाइयां देना शुरू हो गई । लेकिन दुखावा की वूम (चिल्लाना) वन्द नहीं हुआ।
सव दुखी दुखी निराश और चिन्तातुर हुए। सवको एसा लगा कि अव यह बचेगा नहीं। .... लेकिन क्या हो सकता था ? इतने में वे महात्मा
भी वहां आपहुंचे। ..
· महात्माने पूछा कि क्या है ? तव जो थी वह . हकीकते सवने कह दी। और यह भी कहा कि आप 'महात्मा हैं आप तो वहुत जानते हैं इलको बचाने का कोई उपाय आप जानते हो तो करे ।...
इसलिये महात्माने कहा कि इसे वचाने का उपाय तो है। लेकिन वह उपाय तुम कर सकोगे कि नहि उसकी शंका है ?
सवने कहा कि ये आप क्या बोले ? लड़के को वचाने के लिये जो कुछ भी करना पड़े वह सब करने के लिये . हम तैयार हैं । ये घरवार वगैरह सव कुछ दे देना पडता