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__ 'सत् पुरुषानी गणनामां गणावा. योग्य छे.
(९९) काचनने जेम नेम अग्निमां तपाववामां आवे छे तम तम तनो वान वधतोज जाय छे. शेलडीना साठाने जेम जेम छेदबामा के पीलवामां आवे छे तेम तेम ते सरस मिष्ट रस समर्षे छे तमज चंदनने जेम जेम वसवामां के कापवाभा आवे छे तेम तेम ते तेना धसनार के कापनारने उत्तम प्रकारनी सुगध या खुशबो आपे छे, तेवाज रीते सत्पुरुषोने प्राणांत कष्ट पडये छते पण कदापि प्रकृतिनो विकार थतोज नथी. ते तो तेवे वखते उलटी अधिक उजळी थइ आत्म लाभ भणी थाय छे. आवाज पुरुषो जगतमा खरा पुरुषनी गणनामा गणावा योग्य छे.
(१०० ) योगी पुरुषोने वैराग्य-पुष्टिथी जे अंतरंग सुख थाय छ तेवं सुख इंद्रादिकने स्वममा पण संभवतुं नथी. केमके इंद्रादिकर्नु सुख विषयजन्य होवाथी केवळ बहिरग-बाह्य-कल्पितज छे.
(१०१ ) मध्य-उदरनी दुर्बळताथी कृशोदरी-स्त्री शोभे छे, तपोनुष्टानवडे थयेली शरीरनी दुर्बलताथी यति-मुनि शोभे छे, अने मुखनी कृशताथी घोडो शोभे छे, पण तेओ कंइ अमुषणथी शोभता नथी. सर्व कोइ स्व स्व लक्षण लक्षित छताज शोभे छे.
(१०२ ) जे स्त्रीना प्रेमाळ वचन सामळीने चचळ-चित्त थतो नथी तेमज स्त्रीना नेत्र कटाक्षथी पण लगारे संक्षोभ पामतो नथी तेज योगीश्वर रागद्वेष विवार्जित होवाथी जगतमा जयवंतो वर्ते छे.
(१०३ ) अनेक दोषथी भरेली कामनी कुपित थये छते पण कामातुर जीव तणीनो आदर करतो जाय छे. एवी कामाधताने धिकार पडो.
(१०४ ) जेनो संयोग थयो छे तेनो वियोग तो अवश्य ___ व्हेलो मोडो थवानोज छे. त्यारे वियोग पखते शा माटे हृदयने