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________________ [ २८ ] फुकरत लखि फणपति में सभय हरि, लोचन चरित मांह विस्मय विलास है। जयति जयंती जूकी दीठि भाव रसमय, करुण सहित शुभ जहां शिवदास है। · कवि वंश वर्णनम् ' . ब्रह्मा कीनी सृष्टि सव, पहिले करि सप्तर्षि । तिनि सातनि के वंश सों, उपजै बहु ब्रह्मर्पि ॥ १ ॥ पंच गौड़ द्विज जगत में, पंच द्राविड़ जांनि । जहं जहं देस वपे तहां, नाम विशेष वखानि ॥ २ ॥ जनमेजय के यज्ञ मैं, हरि आने जे विप्र । . इन्द्रप्रस्थ के निकट' तिन, ग्राम दये नृप क्षिप्र ।। ३ ।। गौड़ देस ते आनि के, बसे सबै कुरु खेत । विप्र गौड़ हरि आनियां, कहै जगत इहि हैत ।। ४ ।। तिनमैं एक भटानिया, जोशी जग इहि ख्याति । यजुर्वेद माध्यदिनी. शाखा सहित सुजाति ॥ ५॥ गोत कलित कोशल्ये, गनौ घरोंडा प्राम । उपजै निज कुल कमल रवि, विष्णुदत्त इहिं नाम ॥ ६ ॥ विष्णुदत्त को सुत भयो, नारायण विख्यात । ताको दामोदर भयो, जग में जस अवदात ।। ७ ॥ भाष्य सहित फैयट सकल, पठ्यो पढ़ायो धीर । पट दर्शन साहित्य में, जाको ज्ञान गंभीर ॥ ८ ॥ स्वास्थ परमारथ प्रदा, विद्या भागुबंदु । श्री दामोदर मिश्र सब, ताको जानै भेद ॥ ९ ॥ हरिवंदन के नाम जिन, ग्रंथ को विस्तार । कर्मविपाक निशान नत्, और चिकित्सासार ।। १० ॥ करी चाकरी बहुत-दिन, बैरम सुत के पास । बहुरि वृद्ध ताके भये, कीनो कासी वास ।। १ ॥ रामकृष्ण ताको तनय, विद्या विविध विलास । विप्र नगर के सिष्य सब, कियो जौनपुर वास ।। १२ ।। इसके पश्चात् भुवनेश मिश्र के २ संस्कृत पद्य आदि हैं। . . . आसफखां जू को अनुज, यातिकादखां वीर। . ताको करि कृग महा, जानि गुणनि गंभीर ॥ रामकृष्ण के तनय त्रय, जेठे तुलसीराम । मझिले माधवराम बुध, लहुरे गंगाराम ।। *
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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