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प्रकारों के हिन्दी साहित्य के सम्बन्ध में कई लेख प्रकाशित किये हैं। उनसे स्पष्ट है कि किन-किन विषयों के कितने ग्रन्थो का अभी तक पता चल चुका था और उस विषय के मुझे प्राप्त अज्ञात ग्रन्थ कितने हैं। मेरे उन लेखो से पाठक स्वयं समझ सकेंगे कि प्रस्तुत विवरणी द्वारा किस-किस विषय के नवीन ग्रन्थ किस परिमाण मे प्रकाश मे आये हैं।
(२) प्रस्तुत विवरण मे कतिपय ऐसे विषय एवं ग्रन्थों के विवरण है जो हिन्दी साहित्य के इतिहास मे एक नवीन जानकारी उपस्थित करते हैं जैसे नगर-वर्णनात्मक गजल-साहित्य । ऐसी एक भी रचना अभी तक किसी विवरण में प्राप्त नहींहुई एवं ये सभी गजलें जैनकवियो की रचित है ( एक आबूगजल जैनेतर-रचित है। वह भी जैन गजलो की प्रेरणा पाकर ही रची गयी ज्ञात होती है ) । एवं हिन्दी ग्रन्थो की टीकाएँ विभाग मे हिन्दी ग्रन्थो पर तीन संस्कृत टीकाएँ एवं एक राजस्थानी टीका का विवरण आया है। अभी तक हिन्दी ग्रन्थो पर संस्कृत मे टीकायें रची जाने की जानकारी शायद यहाँ पहली ही बार दी गई है।
(३) अन्य विवरण-ग्रन्थो में राजस्थानी लोकभाषा व साहित्यिक भाषा डिगल और गुजराती आदि के ग्रन्थो को भी हिन्दी के अंतर्गत मानकर उनका सम्मिलित विवरण दिया गया है। मेरी राय मे राजस्थानी भाषा एक स्वतंत्र भाषा है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से उसका मेल हिन्दी की अपेक्षा गुजराती से ज्यादा है। अतः मैंने राजस्थानी बोल-चाल की भाषा (जिसमे जैन कवियों ने बहुत विशाल साहित्य निर्माण किया एवं वार्ता ख्यात आदि गद्य रचनाओ मे तथा लोक साहित्य में जो अधिक रूप से व्यवहृत हुई है ) एवं साहित्यिक (चारण-बारहठ प्रभृति रचित गीत आदि ) डिगल भाषा के ग्रन्थो के विवरण स्वतंत्र ग्रन्थ मे लेने की योजना बनाई है और प्रस्तुत विवरण मे हिन्दीप्रधान ( मिश्रित राजस्थानी ग्रन्थों को सम्मिलित [पृष्ठ ८ की अन्तिम लाइन के-छन्द', संगीत२, वैद्यक, बावनी४ का फुटनोट यहाँ देखें ]
१. देखें, सम्मेलनपत्रिका, माघ-चैन का अंक । विविध विषयक जैन ग्रन्थों के सम्बन्ध में इसी पत्रिका के वर्ष २८ अंक ११ में लेख प्रकाशित है।
२. कोष-नाममाला, रत्नपरीक्षा और संगीतविषयक ग्रन्थों की सूची राजस्थान साहित्य वर्ष १ अंक १-२-४ में प्रकाशित की गयी है जो कि राजस्थान हिन्दी साहित्य सम्मेलन से प्रकाशित है।
३. हिन्दुस्तानी वर्ष ११ अंक २ ।
४. शतक और बावनी के सम्बन्ध मे मधुकर वर्ष ५ अंक १५.१९ में प्रकाश डाला गया है। गजलसाहित्य मुनि कान्तिसागरजी शीघ्र ही प्रकाशित कर रहे हैं।