SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हाथ में लेकर बहुत ही सराहनीय कार्य किया है। इसकी ओर से श्री मोतीलालजी मेनारिया एम० ए० के .संग्रहीत एवं सम्पादित "राजस्थान मे हिन्दी के हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज का प्रथम भाग सन् १९४२ में प्रकाशित हो चुका है । उदयपुर विद्यापीठ के शोध-संस्थान द्वारा यह कार्य मुझे भी सोपा गया और मैं अपना कार्य शीघ्रता से सम्पन्न कर सकू इसके लिए सहायतार्थ श्री पुरुषोत्तमजी मेनारिया साहित्यरत्न भी कुछ समय बाद बीकानेर आ गये । वहुतसे ग्रन्थों के नोट्स मैंने पहले ले ही रखे थे। उनके आने से वह कार्य पूरे वेग से चलाया गया और दस बारह दिनों में ही कुल मिलाकर एक भाग की जगह दो भागों के योग्य विवरण संग्रहीत होगये अतः उनका विषय-वर्गीकरण करके करीब आधे विवरण प्रस्तुत ग्रन्थ मे दूसरे भाग के रूप मे प्रकाशित करने का निश्चय कर लिया तदनुसार यह ग्रन्थ पाठकों की सेवा मे उपस्थित है। विवरण लेते समय पहले तो सभी हिन्दी ग्रन्थों का विवरण लिया जाना सोचा गया था, पर जब मैने अपने संग्रह को ही टटोला तो छोटे बड़े ५०० के करीब हिन्दी ग्रन्थ उपलब्ध हुए अतः मैंने यही उचित समझा कि अभीतक हिन्दी जगत् में अज्ञात ग्रन्थ ही सैकड़ों उपलब्ध हैं और उनमे से बहुतसे विविध दृष्टियो से महत्वपूर्ण हैं अत: उनका विवरण ही पहले प्रकाश मे आना चाहिये अन्यथा पूर्व ज्ञात ग्रन्थों का परिचय प्रकाशित करने से व्यर्थ ही समय शक्ति एवं द्रव्य अर्थ का अपव्यय होगा और संभव है अज्ञात ग्रन्थों के प्रकाश मे लाने का मौका ही नहीं मिले जो बहुत अन्याय होगा। वीकानेर में अनूप संस्कृत लाइब्रेरी नामक राजकीय संग्रहालय भी बहुत ही महत्त्वपूर्ण है । उसमें विविध विषयों के महत्वपूर्ण ग्रन्थो की १२ हजार प्रतियें हैं जिनमे हिन्दी ग्रन्थो की प्रतिये भी १ हजार के लगभग हैं । अत: अद्यावधि अज्ञात ग्रन्थों के ही विवरण संग्रहीत करने पर कई भाग होजाने संभव हैं । इन सब बातो पर विचार करके दो भाग के उपयुक्त विवरण ले लिये जाने पर उस कार्य को स्थगित कर दिया गया एवं काशी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित हस्तलिखित हिन्दी पुस्तको का संनित विवरण से चेक कर जिनका विवरण उसमे आगया था उन्हें अलग निकालकर ३५०-४०० अज्ञात ग्रन्थो के विवरण' हिन्दी विद्यापीठ शोध-संस्थान के सञ्चालक श्री १-जिनमें से १८६ ग्रन्थो के विवरण प्रस्तुत ग्रन्ध में प्रकाशित हो रहे हैं । अवशिष्ट विवरणों में : पुराण उपनिपढ़, २ संत साहित्य, ३ कृष्ण कान्य, ४ वेदान्त, ५ नीति, ६ जैन साहित्य, ७ शतक, ८ बावनी, ९ फुटकर इन विपयो के ग्रन्थो के विवरण चौथे भाग में प्रकाशित होंगे।
SR No.010724
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherPrachin Sahitya Shodh Samsthan Udaipur
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy