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________________ ___82 ] इन सबके अतिरिक्त दिन के उजाले में ही छिप-छिप कर उपनायको के माथ सम्भोग करने वाली नायिकानो के अनेको चिय देने जा सकते हैं । एक नायिका नदी के किनारे धूप मे ही उपपति के साथ सम्भोग मे रत है। ईय क पेन, गोप्ठ तथा कु ज श्रादि मे होने वाली उन्मुक्त अभिसार लीलामो का तो कहना ही क्या । यहा एक बात स्पष्ट कह देना आवश्यक है, रयणावली के शृ गारिक पदों का अधिक भाग सम्भोग चित्रो को ही व्यक्त करने वाला है । 7 गारिक हाव-भाव त या अन्य कामोत्ते - जक चेप्टाप्रो पर अधिक बल न देकर कवि सीधे-सीधे अत्यन्त स्यूल और मामल समोग चित्रो के ही अकन मे दत्तचित्त रहा है। अधिकतर नायक नायिकानो के ग्रामीण अपटु और प्रशिक्षित होने के कारण उनकी चेप्टाए भी इमी के अनुकूल है । कुल मिल कर यह कहा जा सकता है कि 'रयणावली' के 7 गार चित्र इस परम्परा की अन्य कृतियो के जोड मे अत्यन्त म्यूल और कामोत्तेजक है। किन्ही-किन्ही पद्यो मे तो रतिक्रिया भी साकार हो उठी है । सुरतगता नवोढा वधू का एक स्पष्ट चित्र स्टव्य है-- प्रायासतलोवरि वल्लहम्यचग्यि वयसि रिगण्वम् । प्राणदवडो आयासलवग्रिमारिया य त कहइ ॥ 1-60-72 ॥ 'घर के हर्म्य पृष्ठ मे बैठी हुई नववधू सखियो से अपने वल्लभ (पति) के चरित का गोपन कर रही है । किन्तु हयं पृष्ठ पर फैले हुए रुधिर-रजित वस्त्र स्वय ही सब कुछ कह देते हैं। ___ऊपर दिये गये कुछ उदाहरणो से 'ग्यणावली' में निहित शृगार के पद्यो की मूलभावधारा स्पष्ट हो जाती है । जहा तक इसके शृगार-चित्रण के तुलनात्मक अध्ययन का प्रश्न है, इसकी तुलना लोकभापा में रची गयी शृगारिक कृनियो से की जा सकती है । परन्तु कम से कम इन परम्परा की अन्य कृतियो से भावग्रहण की प्रवृत्ति इस रचना के कवि में नहीं दिखायी पडती । इस विवाद की चर्चा आगे समुचित प्रसग मे की जायेगी। मादक सौन्दर्य-चित्र ___ऊपर 'रयणावली' के कुछ सम्भोग चित्रो को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है । इसके सम्भोग चित्रो की भाति इसके सौन्दर्य-चित्र भी प्रतिस्थूल मामल एव कामोत्तेजक हैं । सौन्दर्य वर्णन के प्रसगो मे कवि जितने भी चित्र खीचता है। 1. 2 दे० ना0 मा0 4127127 वही 1144145
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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