________________
[ 81 इसी प्रकार वेन्यानो' नागरब्राह्मणो की वधुरो तथा हालिक (कृपक) गुवनियो के अनेको मादक चित्र देखे जा सकते हैं । नायको मे सबसे अधिक चर्चित ग्रामाधिपति तथा नामाधिपति का पुत्र, यही दोनो रहे हैं।
अन्य नायतो में नाई, माली, कृपक तथा गोप आदि की चर्चा हुई है। भारतीय दृष्टि मे, कृष्णाभिमारिकाप्रो और शुक्लाभिमारिकाप्रो के चित्र भी दुर्लभ नही हैं । अन्धेरी रात में छिपकर देवमन्दिर मे उगपति के माथ अभिसार के लिए जाने वाली नायिका या निनदनीय है
तिमिरोभरगणिसाए उम्मर उछिल्लखला उत्भन्ता । उच्छुपग्यउज्मायनो उग्र प्रगई विसइ पण्ड देवउल ।।1179195
'तिमिरावगुण्टिन निणा मे, गृह की देहलीज पर ही भेद खुल जाने से उझान्त, भयपूर्वक चोरकर्मरत की भाति वह अमती मन्दिर मे प्रवेश करती है ।'
सफेअमागए उववइम्मि दुईइ झत्ति सलविया ।
प्रह्मिरइ णायरवहू गेड्डुरियादमरण मिसेण 14146145 'सकेत स्थल पर उपपति के या जाने पर दूती द्वारा शीघ्र बनायी गयी नागरबधू भाद्र शुक्लपक्ष की दशमी को मनाये जाने वाले उत्सव विशेप को देखने के बहाने अभिसार के लिए जाती है ।'
एक हलवाई की पत्नी दिन मे ही कुसम्भी वस्त्र धारण कर 'पोई' (लता विशेप) के वन मे उपपति के साथ रमण करने जाती है
पोइन चुण्टण मिसयो पोइन वरणम्मि पोइन घरिल्ली। पोलच्छेय कण्टे सुपोमरा पेच्छ अभिसरइ ।।
'निद्रा करि लता पोई को तोड़ने के बहाने पोई के वन मे जोते हुए खेत के किनारे, कुसुम्भी लालरग का वस्त्र धारण किये हुए हलवाई की पत्नी अभिसार कर रही है ।'
शुक्लाभिसारिका का एक अन्य रमणीय चित्र द्रष्टव्य हैभल्लूसरिच्छवे से पइम्मि अलसे सयालए भभी ।
चन्दणरमभग्गतरण उववइमहिसरइ जुण्हीए ।।6184199 भालू के सदृश विखरे वाल वाले, अलसमान पति के सो जाने पर, चन्दन के रस से लिप्त शरीर वाली असती चादनी रात मे उपपति के साथ अभिसार करती है।'
1 2
दे० ना0 मा0 114113113 वही 114146145