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"तत्सम शब्द-100 संशययुक्त तशव-528 1 गर्भित तद्भव 18501 अव्युत्पादित शब्द (देणी) 1500 1 ... ... ........... ..... ... ... .. कुल शब्दो की संख्या 3978
इन 1500 देशी शब्दो मे केवल 800 शब्द अाधुनिक भारतीय प्रार्य भाषाओं में प्राप्त होते है ! 700 शब्द प्रार्येतर भापानी से सम्बन्धित वताये जाते है । यद्यपि इनकी पूरी खोज अत्यन्त दुस्ह कार्य है । इस प्रकार प्राचार्य हेमचन्द्र द्वारा म्वय दी गयी परिभाषा के अनुसार इसमे केवल 1500 देशी शब्द है । शेष शब्द इस परिभाषा की सीमा के बाहर जा पडते है ।। इन "देणी" शब्दो के उद्भव और विकास तथा इनके स्वरूप का विवेचन प्रस्तुत प्रबन्ध के एक अलग अध्याय मे प्रस्तुत किया जायेगा इस ग्रन्थ मे सकलित शब्दो की विशेषताए मक्षेप मे इस प्रकार दी जा सकती है।
(1) इस कोश में सकलित शब्द का प्रावुनिक भारतीय आर्य भाष'यो के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध दिखाया जा सकता है।
(2) 'देशीनाममाला' दु मभित शब्दो का अद्भुत सकलन ग्रन्थ है । इस बात को प्राचार्य ने ग्रन्य के प्रारम्भ मे स्पष्ट भी कर दिया है
देशी दुसदर्भा. प्राय सदभिता अपि दुर्वोचा ।
प्राचार्य हेमचन्द्रस्तत्ता सहभतिविभजति च ।। (3) 'देशीनाममाला' एक ऐसा सकलन ग्रन्थ है जिसके समान समस्त भारतीय साहित्य-परम्परा मे कोई भी ग्रन्य नहीं प्राप्त होता । 'पाइयलच्छीनाममाला' जैसे अन्य यद्यपि उपलब्ध हैं फिर भी उनमे प्रचलित शब्दो का पाख्यान हुया है । यह ऐसे शब्दो का सकलन ग्रन्थ है जो अन्यत्र कही उपलब्ध नहीं होते।
(4) इस सग्रह मे सकलित शब्द तत्कालीन रहन-सहन और रीति-रिवाजो का सुप्ठ परिज्ञान कराने में समर्थ हैं। ग्राम्य जीवन से सम्बन्धित शब्दावली तो भारतीय ग्राम्य जीवन के स्वरूप एन उसके विश्वासो तथा परम्परित मान्यतायो का परित. दिग्दर्शन कराने मे अत्यन्त समर्थ हैं ।
(5) इस कोश मे अनेको ऐसे शब्द सकलित हैं जिनका आज तक की विकसित आर्य भापानो मे हुआ अर्थ परिवर्तन सास्कृतिक इतिहास की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण
1. परन्तु इस मान्यता में कोई बल नही । इमका खण्डन 'अर्थगत अध्ययन' के अन्तर्गत किया
गया है।