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________________ ___48 ] समत्रशब्दानामनुशासने चिकीपिते सस्कृतादि भाषाणा पण्णा शब्दानुशासने सिद्ध हेमचन्द्र नाम्नि सिद्धि उपनिवद्धा । इदानी लोपागमवर्ण विकारादिना क्रमेण पूर्वे आराधितपूर्वा देश्या शब्दा अवशिष्यन्ते । तत्सग्रहार्थमयमारम्भ । इन उल्लेखो के आधार पर यह स्पष्ट हो जाता है कि देशीनाममाला की रचना अपने विभागो महित सिद्ध हेमशब्दानुशासन तथा संस्कृत के कोशो अभिधान चिन्तामणि, अनेकार्थ मग्रह आदि के हो जाने के बाद हुई। मिद्ध हेमशब्दानुशासन की रचना सिद्धराज की मृत्यु के पहले हो चुकी थी । सिद्धराज की मृत्यु वि स0 1199 मे हुई थी इसके बाद ही कुमारपाल के प्रारम्भिक शासनकाल में हेमचन्द्र के अन्य कोश ग्रन्थो का ममय रखा जा सकता है। जहा तक देशीनाममाला की रचना का सम्बन्ध है यह अवश्य ही कुमारपाल के शासनकाल मे लिखी गयी होगी। पूरे ग्रन्थ मे पायी हुई उदाहरण की प्रार्यानो मे 105 आर्याए कुमारपाल के यश और शौर्य वर्णन से सवचित हैं। अत यह निश्चित हो जाता है कि "देशीनाममाला" की रचना अभिधान चिन्तामरिण के वाद और काव्यानुशासन के पहले हुई होगी। वहिर्साक्ष्य-डा० वूलर ने अपने ग्रन्थ "लाइफ आफ हेमचन्द्र" मे प्राचार्य हेमचन्द्र की रचनायो के तिथि निर्धारण पर विस्तारपूर्वक विचार किया है। डा० वूलर हेमचन्द्र के दोनो कोशो अभिवानचिन्तामणि और अनेकार्थ सग्रह को सिद्धराज जयसिंह की मृत्यु (वि० स० 1190) के पहले रचित बताते हैं ।' सिद्धराज की मृत्यु के बाद और कुमाग्पाल के शासन काल मे वे इन दोनो कोश ग्रन्यो के विभिन्न पृरक ग्रन्थो का निर्माण बताते है। उनके अनुसार "शेपाख्यानाममाला जो कि अभिधान चिन्तामणि का पूरक गन्य है 3 और परम्परा मे प्रसिद्ध हेमचन्द्र द्वारा लिये गये तीन निघण्टु कोश तथा रयणावली (देशीनाममाला) की मूल गाथाए-ये ममी कुमारपाल के शासन काल के प्रारम्भिक काल मे लिखे गये होगे । डा० वनर की यह दृढ मान्यता है कि नन्कत धान्या और उदाहरण की प्रार्यानो सहित 'ग्यणावनी' या देगीनाममाला की रचना वि न 1214-154 (1159 ई०) मे हुई होगी। टा वूलर का यह मत बहुत कुछ मान्य भी है । 'रयगावली मे कुमार पान से सम्बन्धिन उदाहरण की अाए उसके शौर्य और पराक्रम का वर्णन जिम प्रना के माय करती हैं, उन प्रगमा के योग्य बनने मे मिहामन प्राप्त करने के बाद पुमापान को अवश्य ही कुछ दिन लगे होगे । अत माक्ष्य मे मिलाने पर भी बूलर 1 मार आप हमा, गनिम दागनेशन, १0 18 2 वी. 3036 3 मा याये हुए पापा 17 पृन जमनी में किये गये हैं। + गमनार TE.गरिन दात, पृ0 37
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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