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________________ [ 41 रचनायो के तिथिक्रम का निर्धारण करने का प्रयास किया और वे बहुत कुछ इस प्रयास मे सफल भी हैं। 'सिद्धहेमशब्दानुशासन' की प्रशस्ति मे एक तीर्थयात्रा का उल्लेख देखकर डा० बूलर ने यह निष्कर्ष निकाला कि इस तीर्थ यात्रा के बाद कभी भी इस व्याकरण की रचना पूर्ण हई होगी। वे इसका रचनाकाल इस तीर्थ यात्रा और मालवा विजय के बीच रखते हैं । इन दोनो के बीच उन्होने दो वर्ष का समय दिया है। डा० बूलर जयसिंह के मालवा से लौटने का समय वि. स 1194 या 1138 ई बताते है । इस प्रकार इस व्याकरण ग्रन्थ की रचना लगभग वि. स 1197 या 1141 ई के लगभग हुई होगी।' डा० पारिख मालवाविजय वि स 1191-1192 ई के लगभग सिद्ध करते है। उनकी यह मान्यता समसामयिक प्रमाणो के आधार पर है । ये प्रमाण डा वूलर को उपलब्ध नही थे। इस तरह डा० पारिख का मत है कि यदि हम मालवा विजय के दो या तीन वर्षों के बीच इस ग्रन्थ की रचना का समय मानें तो यह वि. स 1195 (1139) पडेगा । डा वूलर हेमचन्द्र के कोष ग्रन्यो की रचना जयसिंह की मृत्यु के पहले मानते हैं । सस्कृत द्याश्रय काव्य के 14 सर्गों की रचना भी वे जयसिंह की मृत्यु के पहले मानते हैं । डा वूलर के अनुसार पूरे दयाश्रय काव्य की रचना वि स 1220 (1164) ई के पहले हो चुकी होगी । “काव्यानुशासन और छन्दोऽनुशासन की रचना वे कुमारपाल के शासन मे हुई मानते है । परन्तु डा पारिख का कथन है कि छन्दोनुशासन जयसिंह और कुमारपाल दोनो का उल्लेख करने के अतिरिक्त चार अन्य चालुक्य राजानो का भी उल्लेख करता है । अत इससे कोई निष्कर्ष नही निकाला जा सकता। हेमचन्द्र के सस्कृत कोष-ग्रन्थो के पूरक रूप मे लिखी गयी “रयणावली" या देशीनाममाला का रचना काल डा वूलर कुमारपाल के राज्यकाल के प्रारम्भ मे मानते है । लेकिन उनका कहना है कि समस्त, व्याख्या एव उदाहरणो सहित “रयणावली" की रचना विस 1214-15 (1159 ई ) के लगभग हुई होगी। 1. लाइफ आफ हेमचन्द्र, पृ0 18 काव्यानुशासन-भूमिका 40 328 3. लाइफ आफ हेमचन्द्र, पृ0 18 4 वही, पृ0 19 5. वही, पृ0 19 6 वही, प0 19 से 36 7. वही, पृ0 37
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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