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________________ ___ 26 ] प्राकृतद्व याश्रयकाव्य और प्रभावक-चरित के इस विवरण में बहुन बढा अन्तर है। रसिकलाल सी० पारिस के अनुसार "This account of Prabhavakcharita gives a cradıblc explanation of Jaisingha's hostile attitude to Kumarpal, but differs in its geneology from contemporary accounts? and Flatly contradicts D.K (Dvyashraya Kavya) according to which Kshamraj was fully legible for the throne. We don't know what was the authority of the PC (Prabhavak-Charit) for such a humiliating origin 10 a king who according to the Jaina sources was a Paramarhat (97HET) a great Jain King As it is we can not accept it in face of contemporary authorities "2 प्रभावक चरित्र से ही मिलता-जुलता और कुछ आगे बढा हुग्रा विवरण जिनमण्डल कृत कुमारपाल प्रवन्ध मे भी मिलता है। कुमारपाल के समस्त परिवार का विवेचन इस ग्रन्थ का अतिरिक्त विवरण हैं । शेप प्रभावक चरित का ही अनुसरण है। समसामयिक साक्ष्यो के आधार पर कुमारपाल राज परिवार से ही सम्बन्धित था । दयाश्रय काव्य मे कई स्थलो पर उसे 'मैमी" कहकर सम्बोधित किया गया है जिसका अर्थ है भीम का उत्तराधिकारी । इस शका का समाधान तो हो जाता है परन्तु जयसिंह और कुमारपाल की शत्रुता के कारण की समस्या ज्यो की त्यो बनी रहती है । यह भी विवरण मिलता है कि 20 वर्ष की अवस्था तक कुमारपाल जयसिंह के ही पाश्रय मे रहा । परन्तु इसी बीच जयसिंह उसका शत्रु हो गया और उसको मरवा डालने की चेप्टा करने लगा। इस शत्रुता का एक मात्र कारण प्रतिद्वन्दिता की भावना थी। प्रभावक चरित के अनुसार कुमारपाल जिस समय (1199 वि० स०) मे गद्दी पर बैठा उसकी अवस्था 50 वर्ष की थी अर्थात् उसका जन्म 1149 वि० स० मे हुया था। 1149 वि० स० मे ही सिद्धराज जयसिंह सिंहासनारूढ हुना, उस समय उमकी अवस्था केवल ८ वर्ष की थी । इस तरह चाचा जयसिंह और भतीजे कुमारपाल की अवस्था मे बहुत कम अन्तर था । जयसिंह को 1. हेमचन्द्रकृत प्राकृत याश्रयकाव्य यशपाल कृत 'मोहराजपराजय', सोमप्रभाचार्य कृत 'कुमार पालप्रतिवोघ' तथा आ0 हे0 च0 द्वारा अन्य ग्रन्थो मे दिये गये विवरण, समकालीन होने के कारण अधिक विश्वसनीय है। 2 काव्यानुशासन भूमिका पृष्ठ 9/9 ।
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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