SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 300
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 288 ] तणमोल्ली = मल्लिका तृणशूल्य । तवा - गो ताना। तामर = रम्य तामरस । तोमरिनो = शस्त्रप्रमार्जक तोमर-जातिवाची "तोमर" पद निश्चित रूप से प्राकृतो की सम्पत्ति है इसका सस्कृत शब्दावली से कोई सम्बन्ध नही है। तोस - घनतोष । पिण्णो = निर्दयास्तीर्ण । पूरी = तन्तुवायोपकरण तुरी-यह-शन्द भी संस्कृत मे प्राकृतो से पाया होगा। थेरामण - कमल स्थविरासनम् । घेवो = विन्दु नेप या स्तोक । घोरो = क्रमपृथवर्तुल ।स्थूल । दलिन = निकरिणताक्ष,दारु, दलिक दुग्ग = नितम्ब दु ख-अच्छा था यदि इसे दुर्गम से व्युत्पन्न किया जाता। दुच्चटिमो = दुर्ललित-दुर-चण्डिक । दूमलो = प्रभागा/दुभंग । दोगहारी = पनिहारिन, मालिन।दोहन-ह । घणि - गाढ स्तन । धुप्रगानो == श्रमर ८५ वराग । घणो = गज स्यूग या स्थूल या घातु घू । घनीयट्टो = अश्व घुगेयवर्त । पटिगुत्ती = प्रतिकूल प्रतिस्रोत । परिमृगे = प्रतिकूल प्रतिक्षर । पदरा = शरणाघात प्रम्नर । पचनाप्रो = हर (गकर भगवान्) पदनाय । परनुहनो - वक्ष परमुपत्व । परिमलो - निषिद्ध , भोर । परमक्त-अच्छा था कि इसकी व्युत्पति परिमीत. या परिभ्रान्त. से दी जाती। सोनी में युद्ध नो प्रर्णमाम्य होता । परिहो = मृगाउपनादय । पर = दुगुमा प्रसूनम् ।
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy