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बीमार मयुक्त व्यसन
ग, प्ह, म्म, म्भ, म्ह, ल, ल्ह, ब, स्म । में-प्रणाण, उहिया, अम्मा, वमणी (वम्भणी), उम्हाविन, अल्ल, कोल्हाहर्ल, उच्चत्त, गिमले। मित्रमयुक्त यजन-त, न्द, न्य । परन्तु इन्हें सर्वत्र अनुस्वार रूप मे ही लिखा गया
प्रतीहरी, दुरदर अषयू । न्य सोग मिलता तो है, पर ण्ठ रूप में परिवर्तित
मयुक्तासर
सयुक्ताक्षरों क्ष, त्र, तथा म्ह, ल्ह प्रादि का विवेचन पीछे व्यजनो के विवान के बीच विस्तार में किया जा चुका है। इस दृष्टि से किया गया देशीनाममाता को पदावली का अध्ययन कोई महत्त्वपूर्ण परिणाम समक्ष नही लाता । कन्नो विकार की लगभग सभी दिशाएं म. भा प्रा. जैसी ही हैं ।