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________________ 246 उपान्त में 'प' और 'प्प' के उदाहरण इस प्रकार है-- ५- पा-तृणादिमय वृष्टितिवारणम् (2-75), पा-विन्दुः (1-101), दैलुप-मुमल ( 3-1 )। अप्पो-पिता (1-6), बोप्या शाण र मणि को उमकाना (1-1482 कटयो-निकर. (2-13}: या प्रोप्ठ्य, मान, अघोष, महाप्राण, निरनुनासिक, स्पर्शवम् है । देशी नाममाला में '' से प्रारभ होने वाले कुल 35 पाब्द हैं । ये सभी शब्द 'देश्य' प्रति के हैं। प्रारम्भमा---पुक्का-मिथ्या (6-84), फलाबा-मातुलानी (6-85), फोफा भापयितु शब्द (5-86)। मध्यवर्ती 'C' और 'क' पूर्णरूपेण न. भा. ग्रा का अनुगमन करते हैं यफाटा-महा (2-7), कुलफलणी कुलकलड क : (2-42), गुपगुमिप्रगुगन्धि (2-93): प्राण-पूर्ण (1-20), उकालो-दुर्जन. (190), फल-गिरोगाता (3-20) 4 में प्रतिनिहित हैगया --ए-पोलो-पल [उम्पन्द (1-102), शिरिसोनिय निर् स्यणं (437) । -नगमो उदगम लिम्फोट (1-91) गाल होरी स्पोटक (2-86), aire निटिनमा मटित (6-27) । t- अकादविपुप्पन (मापन) (5-35), देवईक देवयुप्पम् (5-49) र अनिमयोपणम्वाप्पाकुलम (6-29)। ' वाटारा मिनते हैं - गु दी (2.93), गु फो-गुप्ति (2.90), गण-भीयितुं ? (6.86) । नम् (5-35), देवउपक पव्यापम् (5-49), पुप्फा7 (6-57)।
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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