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[ 205 ऐसे शब्दो को 'निपात' कहते हैं । देशीनाममाला की शब्दावली के बीच लगभग 600 शब्द ऐसे हैं जिन्हें सभी दृष्टियो से देश्य कहा जा सकता है । आगे भाषाशास्त्रीय दृष्टि से इन तीनो प्रकार के शब्दो का अध्ययन प्रस्तुत किया जा रहा है। ध्वनिग्रामिक विवेचन
आधुनिक भाषावैज्ञानिको की दृष्टि मे किसी भी भाषा मे पाये जाने वाले ध्वनिग्रामो के दो विभेद होते हैं
(1) खण्डीय ध्वनिग्राम । (2) खण्डेतर ध्वनिग्राम ।
खण्डीय ध्वनिग्रामो के अन्तर्गन किसी भाषा-विशेष मे प्रयुक्त स्वरों और व्यजनो का विवेचन किया जाता है। खण्डेतर ध्वनिग्रामो मे अनुस्वार विवृति, सुर, प्राघात, बल आदि की गणना की जाती है । इस विभाजन के आधार पर देशी नाममाला मे सकलित शब्दो का ध्वन्यात्मक विवेचन निम्न प्रकार है।
खण्डीय ध्वनिनाम(1) स्वर ध्वनिग्राम-देशीनाममाला के शब्दों मे कुल 81 स्वर ध्वनिग्राम
thor
श्र,
प्रा
उ, ऊ ए, श्रो
(ए) (प्रो) ह्रस्व ए (ए.) तथा ह्रस्व प्रो (प्रो) को मिला देने से कुल 10 स्वर हो जाते हैं, परन्तु इन्हे अलग स्वर ध्वनिग्राम न मानकर क्रमश 'ए' तथा 'ओ' का सस्वन माना जाना चाहिए । इनके लिए अलग से कोई लिपिचिह्न भी प्रयुक्त नहीं है।
भरत ना. शा. (17-7) मे प्राकृतो में प्रा. भा. मा. 14 स्वरध्वनियो के स्थान पर 8 की ही स्थिति स्वीकार करते हैं। हेमचन्द्र (8-1-1 की वृत्ति) भी यही स्वीकार करते है। त्रिविक्रम की 1-1-1 परवत्ति लक्ष्मीधरकृतचन्द्रिका तथा अन्य प्राकृत व्याकरणों में भी कुल 8 स्वरो को ही स्वीकार किया गया है।