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[ 171 (3) कुट् शब्दे सि को-6173 हिन्दी 'कुट-कुट करना' - यह धातु नेपाली और कुमायु नी वीरा और क्वीडा (वात) के मूल मे अाज भी है।।
(4) घिरिण-ग्रहणे', सि को 11461 - प्राकृत मे गेण्हइ, घेण्णइ आदि रूप इसी से विकसित है।
(5) घुण-श्रमणे -- सि को. 1 464 – हिन्दी 'घूमना' क्रिया इसी से। ।
(6) चक् तृप्तो - सि को 1193 - हिन्दी के 'छकना' तथा 'चकाचक' श्रादि पद इनी से पाए होगे। ___(7) चप् मान्त्वने - सि. को 11426 - हिन्दी 'चुप' पद का मूल
(8) जमु अदने - सि को 11426 -- हिन्दी जमना (जमकर खाना) या जीमना आदि
(9) चुण्ट छेदने - वही, 81347 ~ हिन्दी का 'च्यूटी' पद । (10) जुड़ा बन्धने - वही 6137 – 'जुडा' 'जोडना' आदि क्रिया पद ।
(11) ट - बन्धर्थे - वही 10197 - हिन्दी के टाँका लगाना 'टाँकना' प्रादि पद।
(12) टङ्ग गत्यर्थे -- वही 11887 – 'टाग' या 'टाँगना' पद ।
(13) पौर-गतिचातुर्ये - वही 11585 -- हिन्दी 'दौडना' अवधी 'घोडना' क्रियापद इसी से विकसित होगे।
(14) पेल् गतौ - सि को 11574 - हिन्दी - 'पेलना', रेल, पेल, इत्यादि पद ।
(15) बाड प्राप्लावे - वही 11306 - हिन्दी 'वाढ' पद ।
(16) मस्क् गत्यर्थे - वही - 11102 -- 'मसकना' (अनधी) (टससे) मस ।
(17) हिंड् गत्यर्थे - वही 11287 -- बगला-हाटा तथा कुमायु नी 'हिट्णो' श्रादि के मूल मे।
(18) जिमु अदने - वहीं-11500 -- जेवना (अवधी तथा ब्रज, मारवाडीजेवणे सथाली-जाम । कुकू -जोम । जुग्राग-जिम । सवर-जम ।
1. घुणि - घुणि ग्रहणे-क्रमशः सि को. - 11462 - 11463 ।