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निष्कर्ष रूप मे यह कहा जा सकता है कि 'देशी' शब्द बहुत अनादिकाल से साहित्यिक भाषामो मे प्रविष्ट होकर विक्रमित होते चले आये हैं। ये अपने अन्तराल मे अनेको सास्कृतिक उथल-पुथल छिपाये आज की भापायो मे भी विकास प्राप्त कर रहे हैं । ऐतिहासिक दृष्टि से इन शब्दो का अध्ययन एक रोचक सास्कृतिक तथ्य का उद्घाटन करता है । वैदिक युग से लेकर साहित्यिक संस्कृत, उसके बाद पालि और साहित्यिक प्राकृतो मे, इन्हे वरावर स्थान मिलता रहा है। इन शब्दो मे चिरकाल से सचित आर्यों की मिश्रित सस्कृति का इतिहास सुगमतापूर्वक खोजा जा सकता है।