________________
126 ] सास्कृतिक महत्ता है । आज भी यदि इन शब्दो का विकास विभिन्न प्रान्तीय सरकतियो की शब्दावली मे खोजा जाय तो अवश्य ही कही न कही प्राप्त हो जायेंगे । विपय विस्तार के कारण यहाँ इन सास्कृतिक शब्दो का विवरण मात्र दे दिया गया है । इस के सभी शब्दो का तुलनात्मक और ऐतिहासिक विवेचन एक अत्यन्त दुरुह तथा अपने आप मे भविष्य के अनुमधित्सुग्रो के लिए एक म्वतत्र कार्य है । ग्रामीण कृषक-जीवन से सम्बन्धित शब्दावली
"देशीनाममाला" के शब्दो से सूचित होने वाला समाज अधिकाश रूप मे एक खेतिहर समाज है। इस तथ्य का स्पष्टीकरण उदाहरण की गाथाग्री से होता है । वहा आये हुए हालिक युवक युवतियो के वर्णन खेतो के बीच उनकी उन्मुक्त काम क्रीडायो मे एक खेतिहर वर्ग का चित्र ही उभर कर मामने पाता है । जहा तक कृषि कला से सवधित शब्दावली का प्रश्न है, इसके लिए भी पर्याप्त शब्द इस कोश. ग्रन्थ मे मिल जाते है । खेतो की सिंचाई के काम आने वाली पानी की चर्बी के लिए कुल चार शब्द पाये है - आगत्ती (1-63), उक्कती, उक्कद तथा उक्का (1.87) । मिचाई के लिए विना जगत के (मुडे) का व्यवहार होता था, इसका सकेत उत्त हो (1-94)-विना जगत का कुया-मे मिलता है । एक शब्द उच्छपरण (1117) से दूर दूर तक फैले हुए ईख के खेतो का सकेत मिलता है । इसके अतिरिक्त ग्रामीण कृपक जीवन से सम्बन्धित और भी अनेको प्रकार के पशु पक्षियो और पेड पौषो से सम्बन्धित शब्द बहुतायत से मिलते है। इनका अलग-अलग उल्लेख कर देना उपयुक्त होगा। पेड-पौधे और फल-फूल ·
प्रापल्ली (1-61) - एक लता या झुरमुट, पारणाल (1-67) - कमल श्रावगो (1-62) तथा करबाडो (2-53)- बहेडे का वृक्ष, उम्मत्तो (1-89) घत्त र, ककेल्ली (2 12) - अशोक वृक्ष, ककोड (2-7) तथा कच्छुरी (3-11)कई नाम का एक वृक्ष विप्रोप, कटार (2-10) - नारियल, कराई (2-5), एकलता, कदोट्ट-नीलकमल (2-9), करयदी (2.18) - मलिकापुप्प, कराइणी (2-18) शाल्मलितरु, कलयो (2-54)- अर्जुनवृक्ष कलको (2-8) - वास, कवय (2-3) - कुकुरमुत्ता, कसई (26 - जगलीफल, कालिजणी (2-29) -तापि च्छलता, काहेण 12.21 - गुजा नामक झाडी, कुती (2-34) - मजरी, कुदीर (2-39) - कु दरू का फल, केमारवाणो (2.45) - पलाश, केऊ (244)-कद, गद्दह (283) - श्वेतकमल, गुड (291) लचका नाम की घास, चक्कगणगय (3-7) - नारगी, चदोज्ज (3-4) - श्वेतकमलिनी, चोढो (319) वेल का पेड, जग्रो (3-52) - वैतस वृक्ष, झटुप्रो (2-53) - पीलु नामक वृक्ष, टक्कारी (4 2)- एक बनेलाफूल टोलबो (4-4) - मवूक वृक्ष, डाऊ (4-12)- फल हमक नामक वृक्ष, रगडमासय (4-23) - जल मे उत्पन्न होने वाला एक फल, गीलकठी (4.42)- वाण वृक्ष इस प्रकार के अनेको पेड पौवो एव फलो-फूलो से सम्बन्वित शब्दावली इस कोश मे पग-पग पर विखरी हुई है। पशु-पक्षी
देशीनाममाला की पशु-पक्षियो से सम्बन्वित शब्दावली भी पाश्चर्य मे डाल देने वाली है। इनमे आये हुए पशु-पक्षियो के नाम विचित्र है, यद्यपि पशु-पक्षी