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________________ ____1241 धर्म के क्षेत्र मे पूजागृहो और मन्दिरो का बहुत महत्त्व रहा है। इस कोश मे मन्दिरो के वाचक कई शब्द संकलित है। पीयारो 4-41 ~~ एक खुला हुआ देव गृह या मण्डप । अहिहर 1-57 ~~ मन्दिर, वयण 7-85 तथा साण र 8-24 शब्द भी मन्दिरवाची हैं। इन मन्दिरो मे प्रतिमा की पूजा होती थी। प्रतिमा के लिए ठविया - 4-5 शब्द मकलित है । हेमचन्द्र के समकालीन गुजरात के लिए देवमन्दिरो की स्थिति साधारण बात है। साहित्य और कला साहित्य और कला किसी भी समाज या जाति की सस्कृति के श्रेष्ठ प्रतिमान हैं । प्राचार्य हेमचन्द्र गुजरात जैसी ममृद्ध विद्या-भूमि मे उत्पन्न हुए थे वहीं शिक्षा ग्रहण की और वही अपने सुदीर्घ कार्यकाल का यापन किया । हेमचन्द्र के समय का गुजरात साहित्य और कला की दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध था । उसकी इस समृद्धि का द्योतन आचार्य हेमचन्द्र और उनके समकालीन प्राचार्यों ने अपने ग्रन्थो मे भली-भाति किया है। जहां तक देशीनाममाला मे सकलित इम कोटि के शब्दो का सम्बन्ध है एक बार फिर अत्यन्त खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि इनसे किसी युग विशेप के ममाज विशेष या जाति विशेप की मस्कृति का द्योतन नहीं होता अपितु ये समाज में रहने वाली शिष्ट तथा अशिष्ट-शिक्षित तथा अशिक्षित दोनो वर्गों की सस्कृति का द्योतन करते हैं । साहित्य और कला से सम्बन्वित "देशीनाममाला" के शब्दो मे ज्योतिष, गणित, काव, माहित्यिक चर्चा, जादू टोना, नृत्य, गीत, वाद्य आदि से सम्बन्वित शब्द उल्लेखनीय हैं। इनका ऋमिक उल्लेख इस प्रकार किया जा सकता है - एक स्थान पर पामोरयो (1-66) शब्द पाया है इसका तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जो अपने विषय का विशेषज्ञ हो। पत्तट्ठो (6-69) शब्द भी बहुशिक्षित या विशेषज्ञ का ही अर्थ देता है। इस प्रावार पर कहा जा सकता है कि अगल-अलग विद्यायो के अलग-अलग विशेपन होते रहे होंगे। इन विशेपनो के बीच आपसी विमर्श करने के लिए की जाने वाली समा या गोष्ठी के लिए घडिअघडा और घडी (2-105) दो शब्द पाये हैं। समाज में प्रचलित भिन्न-भिन्न विद्याप्रो के बीच ज्योतिप का विशिष्ट महत्त्व रहा होगा। इसमे सम्बन्वित शब्दो मे गण्यमहो (2-86) - विवाह गणना करने वाला ज्योतिपी उल्लेखनीय है । एक स्थान पर ग्रहपरिवर्तन का उल्लेख हुया है इसके लिए हत्यिवनो - (8-63) शब्द प्रयुक्त हुया है। गणितशास्त्र से सम्बन्धित दो शब्द पत्रावाण्णा पण्णव (6-27) - 55 की गिनती तथा कोण (2-45) -8- एक रेखा के अर्थ मे प्रयुक्त हुआ है । जहिमा
SR No.010722
Book TitleDeshi Nammala ka Bhasha Vaignanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivmurti Sharma
PublisherDevnagar Prakashan
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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