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गूढ, गभीर एव वृहद् ग्रथो का 'स्वाध्याय' आज की व्यस्त एव गतिशील जीवन-शैली में कठिन होता जा रहा है । 'लघु सस्करण' समय की माग है । इसी विचार से हमारे सहयोगी डॉ. कमलचन्दजी सोगाणी ने आचार्य कुन्दकुन्द के विभिन्न ग्रथो से 'द्रव्य' सम्बन्धी महत्वपूर्ण गाथारो का सकलन किया है जो आपके समक्ष 'आचार्य कुन्दकुन्द द्रव्य विचार' के रूप में प्रस्तुत है । इस प्रकार के सकलन मूल अथो की उपादेयता या महत्व को कम नही करते अपितु पाठको को वृहद् अथो से विशिष्ट विषय से सम्बन्धित सक्षिप्त, क्रमवद्ध एव प्रासगिक मामग्री 'एक ही स्थान पर' उपलब्ध करा कर विषय को सरल, सहजगम्य और मुरुचिपूर्ण रूप मे प्रस्तुत करते है।
बडे-बडे ग्रथो का आलोडन कर उनमे से कुछ विशिष्ट गाथाम्रो का चयन कर अत्यन्त सक्षेप मे 'चयनिका' के रूप मे ग्रथ का सार प्रस्तुत कर देना डॉ० सोगाणी की अपनी शैली है, पृथक् पहचान है। यह पुस्तक भी उनकी इसी शैली का निदर्शन है । इस पुस्तक की एक विशेपता और है-इसमे मूलगाथा, उमका व्याकरणिक विश्लेषण और उसके आधार से निसृत हिन्दी अनुवाद दिया गया है जिससे पाठक प्राकृत-व्याकरण को भी समझ मर्के और आचार्यश्री के मूलहार्द को भी।
हमारे आग्रह पर उन्होने अल्प समय मे ही यह सकलन तैयार किया इसके लिए हम उनके आभारी हैं।
मुद्रण के लिए पॉपुलर प्रिन्टर्स धन्यवादाह है ।
महावीर निर्वाण दिवस 2516 दीपमालिका, वि स 2046 जयपुर
ज्ञानचन्द्र खिन्दूका
सयोजक जनविद्या सस्थान समिति
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